Independents have become a standstill, a blow to those who want to fight independently from the tri-member division

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अमरावती. जुलाई माह से शहर में कोरोना ग्रस्तों के आंकडों को देखते हुए एचवीपीएम की हेल्पलाइन ने प्रभाग निहाय समितियां बनाकर कोरोना के आंकडों को बढने से रोकने का प्रयास करने का एक्शन प्लान बनाया. कई बार एचवीपीएम के सभागृह में बैठक भी हुई. हेल्पलाइन ने हरसंभव प्रयास कर एक एक सदस्य को जोडने का आवाहन किया, लेकिन हेल्पलाइन के इस आवाहन को शहरवासियों का साथ नहीं मिला. परिणामत: दूसरे माह में भी मोहल्ला व प्रभाग समितियां वास्तव में दूर कागजों पर भी काम नहीं कर रही है.

अधिकारी व्यस्त, समितियों के नंबर नादुरुस्त
शहर समेत महानगर पालिका में भी कोरोना पाजिटिव के आंकडे बढते जा रहे है. ऐसे में पार्षदों समेत अधिकारियों ने अपने अपने प्रभाग में समितियां बनाकर उसकी सूची देना अनिवार्य था. लेकिन मनपा के पार्षद और अधिकारी भी गंभीर नहीं रहने से यह समितियां कागजों पर भी काम नहीं कर पा रही है.

मनपा प्रशासन ने कंटेनमेंट जोन बनाना बंद कर दिया, होम क्वारंटाइन को भी कई मुसिबतों का सामना करना पड रहा है. ऐेसे में बार बार निजी डाक्टर व अस्पताल प्रशासन से संपर्क करना पडता है. अधिकारी भी लगातार 5 माह से काम कर रहे है, ऐसे में कभी कभी फोन नहीं उठाते ऐसे में मरिज पर क्या उपचार करे यह भी पता नहीं चलता. यदि ऐसे में मोहल्ला अथवा प्रभाग समितियों के नंबर सोशल मिडिया अथवा प्रभागों में लगाये जाते तो निश्चित ही नागरिकों को राहत मिलती थी.

पार्षदों ने कहां ना?
महानगरपालिका में भारतीय जनता पार्टी की सत्ता है. 45 सदस्य बीजेपी के होने के बावजूद उन्होंने विरोधियों को साथ में लेकर किसी भी प्रकार का नियोजन नहीं किया. हालांकि इन समितियों पर महापौर का कंट्रोल होना बहुत जरुरी था. शहर का सभी मार्केट अनलाक हो चुका है जिसका निर्णय भी जनप्रतिनिधियों के आदेशों पर ही दिया गया. तो क्या हेल्पलाइन के आवाहन को साथ देने का काम पार्षदों का नहीं है.

चुनिंदा प्रभागों में समितियां बनाई भी कई होगी तो बैठकों के साथ समितियों के पास डाटा है इस पर भी प्रश्न चिन्ह है. अधिकांश प्रभागों में समिति नहीं रहने से नागरिकों को मुश्किलों का सामना करना पड रहा है. मोहल्ला समितियां नहीं बनने के लिए हेल्पलाइन की बैठक में वर्चस्व की लडाई के लिए हुए महाभारत तो जिम्मेदार नहीं है? ऐसा सवाल भी किया जा रहा है.

संपर्क नहीं हो पाया
इस संदर्भ में महापौर चेतन गांवडे, पक्ष नेता सुनील काले समेत हेल्पलाइन के सदस्यों से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन संपर्क नहीं हो पाया. केवल पार्षद दिनेश बूब ने ही उनके प्रभागों में समिति बनाई गई और काम भी शुरु होने की जानकारी दी.