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अमरावती. कोविड 19 के कारण राज्य में घोषित लाकडाउन का असर ब्लड बैंकों पर भी पड़ा है. लगातार चार माह से कर्फ्यू ने रक्तदान शिविर के आयोजनों पर भी ब्रेक लगा. वहीं दूसरी ओर जैसे ही अनलाक हुआ तो अत्यावश्यक सर्जरी और सभी शल्य क्रिया निपटाने का काम स्वास्थ्य विभाग ने किया. परिणामत: जितना पर्याप्त खून था. वह सभी मरीजों को दिया गया. अब राज्य की ब्लड बैंक को खून की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. 

शल्य क्रियाओं पर भी लगा था बैन

कोविड 19 के कारण मार्च माह से जुलाई और अगस्त माह में भी शल्य क्रिया पर बैन लगाया गया था. महत्वपूर्ण सर्जरी ही किए जाने से पूरा स्वास्थ्य विभाग कोविड 19 में ही व्यस्त रहा. जैसे ही देश अनलाक होना शुरू हुआ तो नागरिकों ने भी शल्य क्रियाएं कराने पर जोर दिया. परिणामत: खून की आवश्यकता पड़ने लगी है.

शल्य क्रिया के साथ-साथ यातायात शुरू होने से दुर्घटनाएं बढ़ गयी है. जिसके लिए भी खून की आवश्यकता होती है. ऐसे में सामाजिक कार्यक्रमों पर पाबंदी कायम है. जिसके कारण कोई रक्तदान शिविर के होने वाले बड़े-बड़े आयोजन भी रद्द करने पड़ रहे है. ऐसे में राज्य की अधिकांश ब्लड बैंक में खून की किल्लत महसूस होने लगी है. 

अमरावती आज भी नंबर वन

अमरावती में खून की किल्लत का सवाल ही नहीं. जिला सरकारी अस्पताल से लेकर डा. पंजाबराव देशमुख अस्पताल की ब्लड बैंक में पर्याप्त खून है. बावजूद इसके उस पर ही निर्भर ना रहते हुए रक्तदान आयोजित किये जा रहे है. -महेंद्र भूतड़ा, अध्यक्ष रक्तदान समिति 

शिविरों का फ्लो बढ़ रहा है

डीएमएक्स गृप की ओर से लगातार शिविर का आयोजन किया जा रहा है. अमरावती में खून की बोतलें पर्याप्त हैं. लाकडाउन के दौरान भी 25 से 30 शिविर गृप की ओर से लिए गए और गृप का काम केवल अमरावती में ही नहीं तो संपूर्ण महाराष्ट्र में किया जा रहा है. लाकडाउन में भी विदर्भ में खून पहुंचाया गया. -ऋतिक मालपे, संस्थापक अध्यक्ष डीएमएक्स ग्रुप