अमरावती. लगातार पांच दिनों से बंद अमरावती कृषि उपज मंडी के दरवाजे सोमवार से किसानों के लिए खुल जाएंगे. व्यापारियों की शनिवार को हुई. बैठक में मंडी शुरू करने का निर्णय लिया गया. बशर्ते व्यापारियों ने केंद्र सरकार के स्टाक लिमिट नीति का विरोध करने के लिए काले फिते लगा कर काम करने का भी एकमत से निर्णय लिया है.
किसानों का मशागत और बुआई का समय होने से किसानों को आर्थिक आवश्यकता होती है. मंडी बंद रहने से किसान लगातार चक्कर काट रहे हैं. जिसके चलते व्यापारियों ने सभी को विश्वास में लेकर मंडी शुरू करने का निर्णय लिया है.
15-20 हजार बोरे पड़ा है माल
शनिवार को कृषि उपज मंडी में हुई. बैठक में सभी व्यापारियों ने अपने अपने विचार रखे. जिसमें केंद्र सरकार की स्टॉक लिमिट को विरोध के साथ वरिष्ठ स्तर पर नियमित पत्र व्यवहार जारी रखा जाएगा, लेकिन एपीएमसी में 15 से 20 हजार बोरे माल किसानों का पड़ा है. ऐसे में किसानों को परेशानी हो रही है. 5 दिन मंडी बंद रहने से अन्य कामगारों के भी बुरे हाल है. किसी को तकलीफ पहुंचाना आंदोलन का मकसद नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार सुनने के लिए तैयार नहीं है.
इसलिए इस नीति का विरोध करने तथा केंद्र सरकार का निषेध करने व्यापारियों द्वारा कुछ दिनों तक काले फीते लगाकर काम कर किया जाएगा. बैठक में खरीददार एसो. अध्यक्ष दिपक जाजू, नवल सारडा, आडतिया एसो. के राजेश पाटिल, संचालक सतीश अटल, धीरज बारबुध्दे, नयन भट्टड, गिरीश भैय्या, नरेश झंवर, दिपक माथुरकर, विजय दायमा, राजकिशोर दायमा, राजेश चांडक, मोहन लढ्ढा, विजय बुच्चा, अजय चांडक, अंकुश बिजोरे समेत अन्य लोग उपस्थित थे.
जबरदस्ती न थोपे निर्णय
केंद्र सरकार के स्टॉक लिमिट के निर्णय को व्यापारियों द्वारा विरोध किया जा रहा है. देशव्यापी आंदोलन के बावजूद केंद्र सरकार इस निर्णय को वापस लेने के लिए तैयार नहीं है. महाराष्ट्र पर इसका सर्वाधिक असर दिखाई देगा. इसीलिए इस निर्णय को महाराष्ट्र पर जबरदस्ती न थोपा जाए. किसान हित में मंडी शुरू करने का निर्णय लिया है. – सतीश अटल, संचालक, एपीएमसी
केंद्र सरकार गंभीरता दिखाए
स्टाक लिमिट की सीमा लगाकर केंद्र सरकार ने व्यापारियों के साथ किसानों पर भी अन्याय किया है, सर्वाधिक फसल महाराष्ट्र में उत्पादित होती है. जिससे किसानों का ही सर्वाधिक नुकसान है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को महाराष्ट्र में लागू नहीं करना चाहिए. लेकिन केंद्र का निर्णय रहने से इसका केंद्र स्तर पर ही निर्णय होना जरूरी है. इसीलिए देशव्यापी आंदोलन किया गया, लेकिन केंद्र सरकार गंभीरता नहीं दिखा रहा है. इसीलिए काले फिते लगाकर नियमित विरोध किया जाएगा.- दीपक जाजू, अध्यक्ष, खरीददार एसोसिएशन
आंदोलन से न हो किसानों का नुकसान
केंद्र सरकार द्वारा स्टॉक लिमिट की मर्यादा लगाकर जो केंद्र सरकार ने व्यापारी और किसानों पर अन्याय किया है. उसके खिलाफ आवाज उठाने का प्रयास किया. 5 दिनों तक केंद्र सरकार देशव्यापी हड़ताल को लेकर गंभीर नहीं हुई, लेकिन उससे किसानों का नुकसान हो रहा है. हजारों बोरे खेत माल एपीएमसी में सड रहा है. इसीलिए व्यापारियों ने किसान वर्ग को राहत देने के लिए यह निर्णय लिया है.- राजेश पाटिल, अध्यक्ष, अडते एसोसिएशन