वीरान होने लगा मेलघाट, आदिवासियों का पलायन फिर शुरू

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धारणी. आदिवासी बहुल क्षेत्र मेलघाट में रोजगार की कमी के चलते अब यहां आदिवासी व गैर आदिवासी फिर पलायन की ओर बढ़ गए है. प्रत्येक गांव से लगभग 70 से 80 प्रतिशत लोग काम की तलाश में अन्य जिलों व राज्यों की ओर निकल पड़े है. जिससे गांव वीरान पड़े हैं. 

कोरोना नियमों की धज्जियां

पूरे देश में कोरोना जैसी महामारी का कहर है. इसके बावजूद मेलघाट से मजदूरों का पलायन जारी है. परिवारों व समूह के साथ मेलघाटवासी जरूरी सामान की गठरी बांधकर स्थालांतरण कर रहे है. जबकि करोना के दौर में इन मजदूरों को स्थानीय स्तर पर ही काम देना जरूरी था, लेकिन प्रशासन की बेफिक्री आने वाले समय में मुसीबत बन सकती है. पलायन करने वाले मजदूर कोरोना जैसी बीमारी की चपेट में आने व उनके माध्यम से अन्यत्र इसका प्रसार होने की संभावना है.  मजदूरों के इस पलायन को रोकने के लिए प्रशासन कदम उठाए. मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के पर्याप्त प्रबंध करने की मांग की जा रही है. 

एजेंट हुए सक्रिय

संपूर्ण मेलघाट के ग्रामीण क्षेत्रों से मजदूरों का अन्य शहरों व राज्यो में पलायन हो रहा है. इन मजदूरों को काम पर  ले जाने के लिए एजेंट सक्रिय है. सूत्रों के अनुसार प्रत्येक गांव में एक लेबर कान्ट्रैक्टर संपर्क कर मजदूरों को लालच देकर उन्हें माल ढुलाई करने वाले वाहनों में बैठाकर ले जाते है. क्षमता से कई गुना अधिक मजदूरों को ठूंसा जाता हैं. यह कान्ट्रैक्टर कंपनियों से मोटी राशि लेते है. जबकि मजूदरों को मामूली राशि एडवांस के रूप  देकर उन्हें काम पर भेजते है. जहां उनका शोषण होता है. दिन-रात उनसे काम करवाया जाता है. कई बार ऐसे मामले पुलिस ने उजागर भी किए है. लेकिन रोजी-रोटी की तलाश में पलायन कम होने का नाम नहीं ले रहा.  

इन गांवों में फैला सन्नाटा

धारणी तहसील के दादरा, चेंडो, डाबका, धुलघाट रेलवे, बैरागड़, हरिसाल, चटवाबोड़, केकदाबोड़, सुसर्दा, सावलीखेड़ा, बीरोटी, दाभ्याखेड़ा, जामपानी, बारातांडा, राणीगांव, गोलाई, भवर, नारदु, कोण चौराकुंड, फॉरेस्ट मालुर, जिरातढाणा, काटकुंभ, हतनादा, इन गांव के हजारों लोग काम की तलाश में अन्य जिलों व राज्यों की ओर निकले हैं.