अकोला. अकोला में अत्यधिक बारिश के बाद जिले के अनेक क्षेत्रों में स्नेल जिसे घोंघा कहा जाता है इसका संक्रमण फसलों पर देखा जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसे गोगल गाय भी कहते हैं. यह छोटे छोटे पौधों को पूरी तरह खा जाती है. पिछले कुछ वर्षों से घोंघा किसी न किसी फसल को संक्रमित करते हुए देखा गया है. और तो और इनकी संख्या भी बहुत अधिक रहती है.
जिले का किसान पहले ही आर्थिक संकट में फंसा हुआ है. पहले बारिश आने में देरी हुई, जिसके कारण अनेक किसानों की फसलें खराब हो गईं. कुछ किसानों पर दुबारा बुआई का संकट भी आया, उसके बाद अत्यधिक बारिश के कारण भी हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों का नुकसान हुआ. इस तरह किसानों की स्थिति बिगड़ती ही रही है. अब खरीफ फसलों पर घोंघा का संक्रमण देखा जा रहा है.
घोंघा चलते समय अपने पीछे लिसलिसा लिक्विड छोड़ता हुआ चलता है. घोंघा रात के समय ही फसलों का नुकसान करता है. दिन के समय यह प्राणी फसलों में ही कहीं छुप जाता है. इस कारण किसान काफी परेशान देखे जा रहे हैं. इसी प्रकार वर्तमान समय में शहरी क्षेत्रों में भी लोगों के कंपाउंड में, बगीचों में बड़ी संख्या में बड़े आकार के घोंघा देखे जा सकते हैं. कई लोगों के बगीचों में लगे छोटे छोटे पौधों की पत्तियों को घोंघा चट कर गए हैं.
विशेषज्ञों की उपाय योजनाएं
कृषि विशेषज्ञों द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार घोंघा पर नियंत्रण करने के लिए घोंघा के अंडे घास के ढेर के नीचे रहते हैं या फिर पौधों के तने के नीचे देखे जा सकते हैं उन्हें खोजकर नष्ट करें. इसी तरह घास के ढेर को गुड़ के पानी में डूबा कर उसे खेतों में विभिन्न स्थानों पर बिछा दें इससे काफी हद तक घोंघा से मुक्ति मिल सकती है. इसी तरह घास के ढेर के नीचे जमा हुए घोंघा के झुंड पर साबुन का पानी डालने से भी किसानों को राहत मिल सकती है.
कुछ फसलों पर इल्लियों का संक्रमण
जिले की कुछ तहसीलों में अत्यधिक बारिश के बाद सोयाबीन, उड़द, मूंग की फसलों पर विविध प्रकार की इल्लियों का संक्रमण देखा जा रहा है. यह इल्लियां सोयाबीन, तुअर, मूंग, उड़द के पौधों के पत्ते कुतरकर खा जाती हैं. इस कारण भी किसान चिंतित हैं. किसान अपने अनुसार, फसलों पर छिड़काव कर रहे हैं. कृषि विभाग द्वारा भी किसानों को सलाह दी जा रही है.