वरुड: कोरोना लॉकडाउन से सभी कामकाज ठप होने के कारण मजदूर परिवारों के दो वक्त के भोजन के भी लाले हैं. सरकार द्वारा निशुल्क अनाज का वितरण सरकारी राशन दूकानों के माध्यम से किया जा रहा है. लेकिन वितरित की जा रही तुअर दाल अत्यंत घटिया दर्जे होने का आरोप है. यह दाल कीट युक्त होने से खाने लायक नहीं है. नि:शुल्क अनाज के नाम पर यह गरीब लाभार्थियों के साथ एक प्रकार मजाक होने का आरोप नागरिकों द्वारा लगाया जा रहा है.
घटिया दर्जे की तुअर दाल
राष्ट्रीय सुरक्षा योजनांतर्गत गरीबों को अनाज का वितरण किया जाता है, जिसमें गेहूं, चावल, तुअर दाल, चना दाल का समावेश है. इसमें तुअर दाल की तरह चना दाल भी घटिया दर्जें की है.
नेताओं को खिलाओ दाल
मुफ्त अनाज दे रहे हैं, यह कोई उपकार नहीं है. ऐसी घटिया दाल, गेहूं नेताओं व अधिकारियों को खिलानी चाहिए. जानवरों का खाना बोलकर फेंक देंगे-सुचिता लटवे, गृहिणी
मजाक बनाया
यह दाल तुअर की है या और कोई, समझ नहीं आ रहा है. घटिया दर्जे की दाल नि:शुल्क देकर सरकार गरीबों का मजाक उड़ा रही है- कल्पना बोपची, गृहिणी