Water harvesting of Kaiturna dam increased

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अमरावती. संभाग के सभी बड़े जलाशयों ने इस बार बड़ी राहत दी है, जिसके कारण मानसून से जलसंकट होने का दूर-दूर तक आसार नहीं है. पांचों जिलों में 509 जलाशयों में 34.74 फीसदी जलभंडार शेष है. ग्रीष्मकाल के दिनों में यह जलाशय प्यास बुझाने में तत्पर हैं. विशेष बात यह है, कि वर्ष 2020 में पहली बार संभाग का एक भी बडा व मध्यम डैम ड्राय नहीं हुआ. प्रकल्पों की ऐसी स्थिति 10 वर्ष पूर्व 2010 में थी. वर्ष 2010 में मई माह में भी डैम में 50 प्रतिशत तक जलभंडार था. जबकि इस वर्ष 2020 में भी ऐसी ही स्थिति है, केवल अरुणावती प्रकल्प का जलस्तर घटा है. वर्ष 2019 में हुई बारिश से अरुणावती डैम में मात्र 20 फीसदी जलभंडार जमा हो पाया था.

अप्पर वर्धा में 50 प्रतिशत
जिले की बात करें तो इस वर्ष अमरावती जिले में सर्वाधिक जलभंडार है. अमरावती शहर की प्यास बुझा रहे सबसे बडे अप्पर वर्धा प्रकल्प में 50 प्रतिशत जलभंडार शेष है. प्रतिवर्ष अकोला व बुलड़ाना के बडे डैम भी सूख जाते हैं, लेकिन इस वर्ष अकोला के 2, बुलड़ाना के 3 और यवतमाल के 1 बडे प्रकल्प में 40 प्रतिशत से अधिक जलभंडार है. उसी तरह मध्यम प्रकल्प भी इस वर्ष सूखा नहीं है. अमरावती के 4 मध्यम प्रकल्पों में 50 प्रतिशत से अधिक, यवतमाल के 6 प्रकल्पों में 20 से 40 प्रतिशत तक, अकोला के 3 प्रकल्पों में 30 प्रतिशत से अधिक तथा बुलड़ाना के 7 प्रकल्पों में 30 से 50 प्रतिशत तक जलभंडार पर्याप्त है.

लघु प्रकल्पों में 22.38 प्रश
21 मई तक 476 लघु प्रकल्पों में 22.38 फीसदी जलभंडार है, जिससे इस वर्ष आने वाली बारिश से निश्चित ही संभाग के सभी प्रकल्प लबालब होंगे. ऐसा अनुमान जताया जा रहा है.