अमरावती. हाईकोर्ट द्वारा कास्ट सर्टिफिकेट रद्द कर दिए जाने से लोकसभा के उपचुनाव को लेकर शिवसेना आश्वस्त है. इस बारे में पूर्व विधायक अभिजीत अड़सूल का स्पष्ट मत है कि पिछड़ावर्ग पर अन्याय के इस अत्यंत संवेदनशील मामले में सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट का फैसला कायम रखेंगी. जिससे उपचुनाव होना तय है.
यदि उपचुनाव होते है तो राज्य में सत्तारूढ़ महाविकास आघाड़ी सरकार में शामिल शिवसेना-एनसपी व कांग्रेस गठजोड़ में भले ही दुबारा आनंद अड़सूल संयुक्त प्रत्याशी हो तो अचरज का विषय नहीं होंगा, लेकिन महाराष्ट्र में सबसे बड़े विपक्षी दल भाजपा के पास अमरावती लोकसभा सीट के लिए दमदार उम्मीदवार नहीं है.
सीमा सावले पर नजरें
विधानसभा चुनाव-2019 में दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा से बगावत कर मैदान में उतरी नगसेविका सीमा सावले ने कुल 19,800 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रही थी. जबकि भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी रमेश बुंदिले सावले की उम्मीदवारी के कारण अपनी यह सीट नहीं बचा पाए और कांग्रेस के बलवंत वानखड़े निर्वाचित हुए. अब उपचुनाव की सुगबुगाहट के बीच फिर एक बार सीमा सावले का नाम चर्चा में है. पिंपरी-चिचवड़ महानगरपालिका में नगरसेविका सावले मूलतः बडनेरा से है. इसी क्रम में भाजपा के पास डा. राजीव जामठे जैसे पदाधिकारी भी है. लेकिन उपचुनाव तय होने पर ही कुछ कहा जा सकता है.
सत्य की जीत
सासंद नवनीत कौर राणा की कास्ट वैलिडीटी को लेकर हाईकोर्ट के निर्णय से न्याय व्यवस्था पर विश्वास और दृढ़ हो गया है. यह सत्य की जीत है. झूठा प्रमाणपत्र पेश कर सांसद बनने राणा ने अलग-अलग युक्ति लगाकर झूठे सबूत प्रस्तुत कर बचाव करने का प्रयास किया, लेकिन कोर्ट ने सभी सबूत खारिज कर उन्हें जगह दिखा दी है. न्याय दान में समय जरूर लगा, लेकिन न्याय व्यवस्था यह केवल सत्य के पक्ष होती है. यह इस निर्णय से सिद्ध हो गया है. इस तरह जिलावासियों को फिर एक बार दमदार नेतृत्व को चुनकर देने का अवसर प्राप्त होंगा.-सुनील खराटे, जिला प्रमुख शिवसेना