- सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर संचालक मंडल बर्खास्त
- उपायुक्त सतीश भोसले ने संभाला पदभार
अमरावती. सुप्रीम कोर्ट ने जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक का संचालक मंडल बर्खास्त कर प्रशासक नियुक्त कर दिया है. बुधवार को सहकार व वस्त्रोद्योग, नागपुर प्राधिकरण के उपायुक्त सतीश भोसले ने बुधवार को पदभार संभाला है. किसानों की बैंक के तौर पर जानी जाती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में मनमाने कामकाज का आरोप लगाकर किसान सुरेश गुणवंतराव विधाते व नंदकिशोर वासनकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें जिला बैंक के वर्तमान संचालक मंडल के सभी व्यवहारों की नाबार्ड से जांच कर संबंधितों पर कार्रवाई की मांग की थी.
समयावधि के बाद भी रहा संचालक मंडल
इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2021 को संचालक मंडल बर्खास्त कर जिला बैंक पर प्रशासक नियुक्त करने का आदेश दिया. दि अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के संचालक मंडल की समयावधि 28 दिसंबर 2015 को समाप्त हो गई थी. जिससे महाराष्ट्र सहकारी अधिनियम 1960 कानून की धारा 97 के अनुसार संचालक मंडल ने उपविधि में सुधार करना चाहिए था, लेकिन उपविधि में सुधार किए बगैर मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर कर अवधि समाप्त होने के बाद भी अगले 6 वर्षों के लिए संचालक मंडल का कामकाज संभाला.
19 बार नोटिस बजाई
इन 6 वर्षों के कार्यकाल में संचालक मंडल ने संस्था का नुकसान किया. जिले के किसानों पर अन्याय किया. गड़बड़ी संबंधि इसके पूर्व भी विभागीय सहनिबंधक सहकारी संस्था व जिला उप निबंधक ने जिले के किसानों पर हो रहे अन्याय के विरोध में किसानों की शिकायत पर धारा 79 के साथ ही अन्य धाराओं के तहत अब तक 19 बार जिला सहकारी बैंक को नोटिस बजाई है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में नियमित कामकाज के अलावा अन्य कोई काम करने स्पष्ट मनाई की गई थी. उसके बाद भी संचालक मंडल ने आमसभा की नोटिस निकाली. एक तरह से यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है. इन दिनों जिले में कोविड-19 के चलते इस तरह आमसभा लेने की अनुमति नहीं होने पर भी कैसे ली. इसको लेकर जिलाधिकारी को जवाब तलब करना चाहिए. लेकिन दबाव में सबकुछ आलवेल बताया जा रहा है. आन लाइन सभा लेने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के किसान सक्षम नहीं है और नेटवर्क भी नहीं है.
कई किसानों को कर्ज नकारा
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि अमरावती जिले के अचलपुर, चांदूर बाजार, धामणगांव रेलवे, चांदूर रेलवे, नांदगाव खंडेश्वर जैसे अनेक तहसीलों में योग्य किसानों को फसल कर्ज देने से संचालक व बैंक प्रशासन ने इंकार किया था. राजनीतिक बदला प्रवृत्ति के कारण ऐसा किये जाने का आरोप भी लगाया था. सहकार विभाग की जांच में अचलपुर, चांदूर बाजार व दर्यापुर तहसील में गैर कानूनी तरीके से कर्ज दिए जाने का तथ्य सामने आया. कई किसानों को बैंक के नियमों के विरुद्ध कोरोड़ों रुपए का कर्ज दिये जाने की बात सरकारी रिपोर्ट में सामने आई.
780 करोड़ का गैर कानूनी निवेश
कर्ज वितरण में अवैध साहुकारी का प्रभाव रहा. संचालक मंडल ने मनमाना खर्च किया. नाबार्ड की जांच में यह तथ्य भी सामने आने का दावा याचिकाकर्ताओं ने किया. बैंक के 780 करोड़ रुपए गैर कानूनी ढंग से निवेश के लिए संचालकर मंडल का प्रस्ताव नहीं रहने के बाद भी दलालों की नियुक्ति कर यह निवेश किया गया. जिसके लिए दलालों और उन्हें काम देने वाले पदाधिकारियों को मोटा कमिशन दिया गया.
किसानों को मताधिकार मिलने तक टाले चुनाव
याचिकाकर्ताओं ने योग्य किसानों को जिला बैंक में मतदान का अधिकार मिलने तक चुनाव टालने की मांग की है. 6 वर्षों तक चुनाव नहीं हुए. फिर भी सत्ता हाथ में लेकर भ्रष्टाचार की चरम सीमा पार कर दी. अब प्रशासक की नियुक्ति के बाद चुनाव की जल्दबाजी क्यों की जा रही है. इसलिए योग्य किसानों को मताधिकार मिलने तक चुनाव ना लेने की गुहार निर्वाचन प्राधिकरण से याचिकाकर्ता विधाते व वासनकर ने लगाई है.