90 Q. in the division Sowing settlement, Yavatmal topper, Akola lagging behind

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अमरावती. मृग नक्षत्र लगने के साथ ही अच्छी बारिश हुई. भले ही बाद में बारिश की बेरुखी चल रही है. लेकिन इस बीच संभाग के पांचों जिलों में 68 प्रतिशत बुआई निपट चुकी है. कृषि विभाग के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सर्वाधिक बुआई दर्ज की गई है. कोरोना के चलते कृषि विभाग के आह्वान पर सोयाबीन, तुअर, मूंग, उड़द व जवारी का संभावित क्षेत्रफल बढ़ा है. सोयाबीन का क्षेत्र भले ही बढ़ा है, लेकिन प्रतिशत घटा है. कपास की तुलना में सोयाबीन की बुआई 9960.1 हेक्टेयर हुई है. जबकि कपास की बुआई 8123.15 हेक्टेयर पर पहुंची है.    

वाशिम में सर्वाधिक, अकोला पिछड़ा
कृषि विभाग के अनुसार सर्वाधिक बुआई वाशिम जिले में हुई है. वाशिम में  4062.55 हेक्टेयर में से 3301.41 हेक्टेयर यानी 81 प्रतिशत बुआई निपटी है. अकोला जिला बुआई के मामले में धीमी गति पर है. अकोला जिले में 4832.91 हेक्टेयर में से 1291.90 हेक्टेयर में बुआई निपटी. यह 27 प्रतिशत बुआई दर्ज की गई है. बुलढाना जिले में 75 प्रतिशत बुआई निपटी. यवतमाल में 80 प्रतिशत बुआई पूर्ण हुई है. अमरावती में 6887.77 में से 4537.37 हेक्टेयर यानी 66 प्रतिशत बुआई पूर्ण हुई है. 

अमरावती में कपास को प्राथमिकता
जिले के किसानों ने सोयाबीन की तुलना में कपास को प्राथमिकता दे रहे हैं. 2040.19 हेक्टेयर में से 1817.22 हेक्टेयर पर कपास की बुआई निपटी है. जबकि सोयाबीन की 2942.38 हेक्टेयर में से 1748.98 हेक्टेयर बुआई हुई है. कपास की 89 प्रतिशत और सोयाबीन 59 प्रतिशत बुआई हुई है. तुअर 60 प्रतिशत, मुंग-42 प्रतिशत व उडद की 26 प्रतिशत बुआई निपटी है. अकोला जिले में भी कपास की 40 प्रतिशत और सोयाबीन की 28 प्रतिशत बुआई हुई है. कुल बुआई में कपास का क्षेत्रफल भले ही कम है, लेकिन बुआई का प्रतिशत बढ़ा है.  

पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ोतरी 
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष बुआई जल्द निपटी है. बुआई के लिये औसतन बारिश 100 मिली मीटर होना अनिवार्य होती है. मृग नक्षत्र में जोरदार बारिश आने से किसानों ने बुआई निपटाई. पिछले वर्ष जुलाई के दूसरे सप्ताह में भी इतने बड़े पैमाने पर बुआई नहीं निपटी थी जिससे जुलाई माह तक संभाग में शत-प्रतिशत बुआई निपट जाएंगी.-अर्चना निस्ताने, सांख्यिकी अधिकारी