- बच्चों को समय पर पकाकर नहीं मिल रहा
चुरणी. कोरोना संक्रमण रोकने के लिए पोषाहार वितरण के लिए ‘टेक होम राशन’ प्रणाली के माध्यम से अनाज के रूप में आपूर्ति की जा रही है. लेकिन अभिभावकों की लापरवाही के कारण, बच्चों को समय पर यह पोषाहार पकाकर नहीं दिए जाने की जानकारी कुछ ग्रामीण आंगणवाड़ी सेविकाओं ने दी है. जिसके चलते ‘टेक होम राशन’ योजना का बंटाढार होते दिखाई दे रहा है. सरकार द्वारा नियमित वितरीज पोषाहार बच्चों को समय पर नहीं मिलने से मेलघाट में कुपोषण बढ़ने की प्रबल संभावना है.
1850 बच्चे कम वजन के
कुपोषण, बालमृत्यु व मातामृत्यु रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा मेलघाट में करोडों का खर्च किया जाता है. फिर भी कुपोषण का ग्रहण समाप्त नहीं हुआ है. अगस्त माह में लगभग 1850 बालक कम वजन के पाए गए. वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते राज्य शासन की ओर से आदिवासी मासूमों को ‘टेक होम रेशन’ प्रणाली व्दारा अनाज के रुप में पैकेट बंद आहार मुहैया कराया गया. अभिभावकों ने यह आहार प्रतिदिन पकाकर देना अपेक्षित था तथा इस पर गांव की आंगणवाड़ी सेविकांओं के नियंत्रण का आदेश है. इसके बावजूद आदिवासी पालकों द्वारा रोज मासूमों को घर पर आहार पकाकर नहीं दिया जा रहा.
देते है गोलमोल जवाब
आंगनवाडी सेविकाओं द्वारा पोषाहार पकाने को लेकर पूछे जाने पर आदिवासी अभिभावक गोलमोल जवाब देते है. अभी पकाते है, आज ही नहीं पकाया, पकाकर अभी खिलाया, आप चूल्हे पर जाकर देखते है क्या, हमने क्या पकाया है. राशन आप नहीं सरकार देती है. इस प्रकार के जवाब आंगनवाडी सेविकाओं को सुनने पडते है. इस बारे में मेलघाट के हर गांव में जनजागृति आवश्यक है. आदिवासी नागरिकों को भी अपने मासूमों को रोज आहार मिले, इसके लिए खुद ध्यान देना उतना ही जरुरी है. यदि प्रशासन इसके लिए प्रत्येक गाँव में जागरूकता बढ़ाता है. तो इससे निश्चित रूप से ही टेक होम राशन प्रणाली को लाभ होगा और आदिवासी मासूमों के कुपोषण को कम किया जा सकेगा.
आंगनवाडी सेविकाओं का सराहनीय काम
मेलघाट में आंगनवाडी सेविकाओं का कार्य वास्तव में सराहनीय है. कोरोना संक्रमण मार्च में शुरू हुआ. तब से लेकर आज तक मेलघाट में आंगनवाडी सेविका डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम योजना के तहत गर्भवति माताओं के लिए भोजन पका कर उनके घर पर पहुंचा रही है. उसी प्रकार रोजमर्रा के काम कोरोना का सर्वे, मोबाइल पर जानकारी भरना, टेक होम राशन का वितरण, अंडे बांटना, बच्चों का वजन, कद नापना, गृहभेट, बाल विकास केंद्रों को चलाना आदि के साथ अतिरिक्त काम के बावजूद अपना काम ईमानदारी से कर रही है.