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अमरावती. ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों के स्वास्थ्य पर राज्य सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है, बावजूद इसके प्रशासकीय अधिकारी व डाक्टरों की लापरवाही के कारण लाखों रुपयों की दवाईयां उन तक नहीं पहुंच पाती जिससे मरिजों की जान के साथ खिलवाड किया जा रहा है ऐसा आरोप लगाते हुए जिला परिषद सदस्य प्रकाश साबले ने जमकर हंगामा खडा किया. उन्होंने 15 दिन पूर्व एक्सपायरी दवाईयां मिलने से उसकी रिपोर्ट स्वास्थ्य समिति की बैठक में रखने के आदेश दिये थे.

अधिकांश पीएचसी में यही हाल
जिला परिषद अंतर्गत अधिकांश गांव में पीएचसी, उपकेंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, ग्रामीण अस्पतालों से ही इलाज किया जाता है. लेकिन सही इलाज व दवाईयां नहीं मिलने के कारण ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों को पैस खर्च कर निजी अस्पताल व शहरों में जाना पडता है. करोडों रुपयों की दवाईयां सरकार उपलब्ध कराने के बावजूद केवल लापरवाही के कारण यह दवाईयां मरिजों समेत नागरिकों तक नहीं पहुंच पाती जिससे एक्सपायरी होने के बाद उसे फेंक देते है.

साबले ने स्वास्थ्य समिति की बैठक में सवाल उठाते हुए कहा कि एक पीएचसी का मामला सामने आया जबकि ऐसी स्थिति कितने पीएचसी में होगी? क्या इस पर स्वास्थ्य विभाग का ध्यान है. जब रिपोर्ट मांगी तो रिपोर्ट में भी दवाईयां फेंकने का जबाव दिया गया. क्या यह ग्रामीण क्षेत्र के नागरिकों के साथ खिलवाड नहीं है ऐसा कई सवाल उन्होंने उठाये.

278 डाक्टरों की नियुक्ती
कोरोना को लेकर भी जिप स्वास्थ्य विभाग से पूछताछ की गई. जिस पर 278 उपकेंद्रों में उतने ही डाक्टरों की नियुक्ती करने तथा मरिजों के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाने की जानकारी दी. लेकिन क्वारंटाइन सेंटर में मुलभूत सुविधाएं नदारद होने तथा जितने सेंटर है उतने सभी हाऊसफुल्ल होने का आरोप सदस्यों ने लगाते ही क्वारंटाइन सेंटर पर लक्ष्य केंद्रीय करने के आदेश स्वास्थ्य सभापति बालासाहब हिंगणीकर ने दिये.