आर्थिक स्थिति बिगड़ने से देश में मच सकता हाहाकार

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– पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने जताया संदेह 

औरंगाबाद. पिछले कुछ सालों से देश की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर हो चुकी है. इसी दरमियान कोविड को लेकर जारी हुए लॉकडाउन से देश की आर्थिक स्थिति पूरी तरह चरमरा गई है. केन्द्र सरकार द्वारा 21 लाख करोड़ का घोषित किया गया पैकेज एक मात्र दिखावा है.

आज शॉर्टटाईम निर्णय लेने की जरुरत है. वह न लेने से आनेवाले दिन भयावह हो सकते है. केन्द्र सरकार ने समय रहते हालत बिगडऩे से पूर्व गरीब व मध्यम वर्गीय जनता के हित के लिए कड़े निर्णय लेने की जरुरत है. वरना, देश में हाहाकार मच सकता है. यह संदेह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने जताया. 

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से किया संवाद 

चव्हाण ने सोमवार को औरंगाबाद के मीडिया कर्मियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद  साधकर लॉकडाउन के चलते देश में बिगड़ते हालत व केन्द्र सरकार द्वारा आम आदमी को राहत पहुंचाने के लिए कोई कदम न उठाने को लेकर विस्तृत रुप से प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि अन्य देशों की सरकार ने लॉकडाउन में आम आदमी को राहत पहुंचाते हुए बड़े पैमाने पर सरकारी तिजोरी से पैसे खर्च कर राहत दी. लेकिन केन्द्र सरकार ने 21 लाख करोड़ का जो पैकेज घोषित किया, उसमें  सिर्फ 2 लाख करोड़ की राशि सरकारी तिजोरी से आम आदमी के जरुरतों पर खर्च होगी. जो आम आदमी को राहत पहुंचाने में ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर है. 

कर्ज के खाई में ढकेला जाएगा

चव्हाण ने बताया कि बचे 19 लाख करोड़ रुपए बैंकों के माध्यम से कर्ज के रुप में बांटे जाएंगे. इससे उद्योग जगत को किसी प्रकार की राहत न मिलकर वह कर्ज के खाई में ढकेला जाएगा, क्योंकि उद्योजकों को यह डर सता रहा है कि बैंक से लिया हुआ कर्ज उसे वापस लौटाना ही है. पहले ही उद्योग जगत आर्थिक रुप से परेशान है. ऐसे में वे कर्ज लेकर और अपनी  परेशानियों को क्यों बढ़ायेगा. क्योंकि, मार्केट में उनका माल खरीदने वाला भी तो होना चाहिए. तब जाकर उद्योग उभर पाएंगे.आज लोग अपनी मुख्य जरुरतों को पूरा करने के लिए मारे-मारे फिर रहे है. ऐसे में वे अन्य वस्तुएं कैसे खरीद पाएंगे. 

पैकेज पर बोलने से घबरा रहे उद्योजक के संगठन 

एक सवाल के जवाब में पूर्व सीएम ने कहा कि आज देश के उद्योजकों में केन्द्र सरकार का डर छाया हुआ है. सरकार द्वारा घोषित किए गए 20 लाख करोड़ के पैकेज से उन्हें कोई फायदा नहीं मिलनेवाला है, उससे उद्योजक भी  भलीभांति परिचित है, लेकिन वे केन्द्र सरकार के डर से पैकेज पर अपनी राय देने से भी कन्नी काट रहे है. चव्हाण ने कहा कि आज देश में उद्योजकों के कई नामचीन संगठनाएं है. आज तक उन संगठनाओं ने पैकेज पर अपनी प्रतिक्रिया देने से कन्नी काट ली है क्योंकि उन्हें यह एहसास हो चुका हैं कि सरकार का  यह पैकेज उन्हें कर्ज की खाई में ढकलेगा. 

सीतारमन से अर्थव्यवस्था पटरी पर आना असंभव 

केन्द्रीय अर्थमंत्री सीतारमण द्वारा हाल ही में  5 दिन तक प्रेस वार्ता कर लॉकडाउन में जनता को राहत देने के लिए विविध पैकेज की घोषणा की. इन पैकेजों से यह साफ हैं कि सीतारमन को लॉकडाउन में निर्माण हुई गंभीरता समझी ही नहीं है. विश्व के कई छोटे व बड़े देशों ने सरकारी तिजोरी से आम जनता के खाते में सीधे रकम जमा की. ऐसा ही निर्णय केन्द्र सरकार को लेने की जरुरत है. एक उदाहरण देते हुए पूर्व सीएम ने बताया कि इंग्लैंड की सरकार ने लॉकडाउन से परेशान मजदूर व आम आदमी को राहत देते हुए हर एक के खाते में 2500 पौंड यानी सवा दो लाख रुपए जमा करने का निर्णय लिया है. इसी तरह के निर्णय अमेरिका, जर्मनी सरकार ने लिए है. इसी तरह के निर्णय भारत सरकार को लेकर आम आदमी के खाते में विशेष रकम जमा करनी चाहिए. ऐसा निर्णय न लेने से आनेवाले दिन भारत के लिए बहुत संकट भरे हो सकते है. 

नए नोट छापे सरकार

चव्हाण ने लॉकडाउन में बिगड़ी आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए पैसे खड़ा करने की जरुरत पर बल देते हुए मोदी सरकार को सलाह दी कि वे तत्काल आरबीआई को विश्वास में लेकर नए नोट छापे क्योंकि आनेवाले दिनों में देश में महंगाई आसमान छु सकती है. ऐसे में नए नोट छापकर लोगों को राहत दी जा सकती. उन्होंने उनके द्वारा धार्मिक ट्रस्टों में पड़ा सोना कर्ज के रुप में लेने की दी सलाह को सहीं मानते हुए कहा कि देश में कोरोना को लेकर आई आपदा में इसके माध्यम से संकट को पार करने में बड़े पैमाने पर कारगर साबित हो सकते हैं. पर यह बात अलग है कि भाजपा के सोशल मीडिया वर्करों ने मेरे बयान का विपर्याप्त बनाकर जनता में कांग्रेस का गलत प्रचार व प्रसार किया. चव्हाण ने बताया कि 1999 में केन्द्र सरकार ने गोल्ड बांड स्कीम लाई थी. उसी तर्ज पर धार्मिक ट्रस्टों में पड़ा सोना कर्ज के रुप में सरकार ने लेना चाहिए.