बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के एक साल बाद ही मुस्लिम बहुल किराडपुरा में श्रीराम मंदिर का जीर्णोद्धार

Loading

  • बालासाहब पवार ने किया नेक काम

औरंगाबाद. 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों द्वारा बाबरी मस्जिद ढहाने के बाद देश भर में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे थे. इस घटना के कारण कई महीनों तक देश का साम्प्रदायिक सौहार्द खत्म होकर हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच दूरियां बढ़ी थी. इन्हीं दूरियों और तनावपूर्ण महौल के बीच जालना के पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता स्व. बालासाहब पवार ने मुस्लिम बहुल इलाके किराडपुरा में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के करीब एक साल बाद सालों से खंडहर पड़े श्रीराम मंदिर के पुन:निर्माण का निर्णय लिया. यह निर्णय साम्प्रदायिक शहर औरंगाबाद के लिए खतरों से खाली नहीं था, परंतु कांग्रेस नेता स्व. बालासाहाब पवार के प्रयासों से श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण भव्य रूप से हुआ.

अध्योध्या में भूमिपूजन के मौके पर ताजा हुई स्मृति

बुधवार को रामजन्म भूमि अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों भगवान श्रीराम मंदिर का शिलान्यास समारोह संपन्न हुआ. औरंगाबाद तथा श्रीराम मंदिर का एक साथ विचार करने पर स्व. बालासाहाब पवार की याद आना स्वाभिवक है. शिलान्यास समारोह पर शहर के मुस्लिम बहुल इलाके में पुनर्निर्मित किए गए श्रीराम मंदिर पर स्व. बालासाहाब पवार के पुत्र मानसिंह पवार जो शहर के नामचीन उद्योजक हैं, ने पुरानी यादें ताजा की.

100 प्रतिशत मुस्लिम बहुल इलाका है किराडपुरा

मानसिंह पवार ने नवभारत को बताया कि बाबरी मस्जिद ढहाने के बाद मुंबई व देश के अन्य शहरों में हुए साम्प्रदायिक दंगों के चलते औरंगाबाद में भी कई माह तक माहौल तनावपूर्ण था. इसके बावजूद पूर्व सांसद बालासाहब पवार ने एक चुनौती को सामने रखकर 100 प्रतिशत मुस्लिम बहुल इलाका किराडपुरा में सालों से खंडहर के रूप में तब्दिल हो चुके श्रीराम मंदिर के भव्य पुनर्निर्माण का निर्णय लिया. स्व. बालासाहाब पवार सभी समुदाय में काफी लोकप्रिय  नेता थे. मुस्लिम बहुल इलाके में श्रीराम मंदिर का भव्य रूप से पुनर्निर्माण करना शहर में साम्प्रदायिक माहौल को और बिगडऩे का एक और कारण बन सकता था, परंतु बालासाहाब पवार ने किराडपुरा के मुस्लिम समुदाय के लोगों को विश्वास में लेकर उन्हें यह एहसास दिलाया कि भगवान श्रीराम किसी एक समुदाय के भगवान नहीं है. भगवान श्रीराम ने अपने जीवन में एकात्मता, समता, भाईचारे की सीखदी हुई है.

 30 नवंबर 1993 को हुआ रखी गई नींव

30 नवंबर 1993 को बालासाहब पवार की  अध्यक्षता में श्री रामचन्द्र मंदिर बालाजी ट्रस्ट की स्थापना कर मंदिर के निर्माण कार्य के जीर्णोद्धार की कोनशिला रखी गई. इस पावन अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मीनारायण जैसवाल, बालासाहब सिमंत, भास्करराव बेलसरे, उत्तमराव मनसुटे, कन्हैयालाल सिद्ध ने पवार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

हिंदु-मुस्लिम एकता का प्रतीक बना किराडपुरा का श्रीराम मंदिर

उद्योजक मानसिंह पवार ने बताया कि 30 नवंबर 1993 को मंदिर का निर्माण कार्य शुरू होकर  तीन साल में पूरा हुआ. उसके बाद से आज तक किराडपुरा के श्रीराम मंदिर में हर साल रामनवमी और अन्य त्यौहार उत्साह के साथ मनाए जाते हैं. मानसिंह पवार ने कहा कि जितनी श्रद्धा के साथ हिंदु श्रद्धालू यहां दर्शन व पूजा अर्चना के लिए आते हैं, उतनी ही शिद्दत के साथ मुस्लिम समाज के लोग भी सहयोग करते हैं. यही कारण है कि, किराडपुरा का राम मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बना हुआ है.

350 साल पुराना था किराडपुरा का श्रीराम मंदिर

मानसिंह पवार बताते हैं कि हमारा परिवार किराडपुरा के निकट शाहगंज में रहता था. मेरे पिता का किराडपुरा के रास्ते से आना जाना था. तब उन्हें पता चला कि किराडपुरा में खंडहर हुआ राम मंदिर है, जो करीब 350 साल से अधिक पुराना है. तब उन्होंने इसका पुनर्निर्माण करने का निर्णय लिया. मानसिंह पवार ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण 350 साल पूर्व महाराज यशवंतसिंह ने किया था. मुगलों के शासन काल में मंदिर के आस-पास मुस्लिम बस्ती के विस्तार के कारण मंदिर की उचित देखभाल नहीं हो सकी और देखरेख के अभाव में मंदिर की अवस्था जीर्णशीर्ण हो गई. उसके बाद बालासाहब पवार ने ट्रस्ट की स्थापना कर मंदिर का निर्माण किया.  

बालासाहब पवार ने नहीं लिया राजनीतिक लाभ

मानसिंह पवार ने बताया कि किराडपुरा में राम मंदिर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनेवाले बालासाहब पवार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. उनके प्रयासों में किराडपुरा में श्रीराम मंदिर का निर्माण हुआ. इसका फायदा उन्होंने राजनीति में नहीं लिया, बल्कि राजनीतिक फायदा उठाने का मन भी उनके विचार में नहीं आया. श्रीराम मंदिर का निर्माण यानी श्रद्धा, कर्तव्य और जिम्मेदारी थी. स्व. बालासाहब पवार के पुत्र मानसिंह पवार कहते है कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद दो समाज में निर्माण हुई दूरियों के बीच भगवान श्रीराम का एकता का संदेश देनेवाला मंदिर का निर्माण हुआ. यह बात औरंगाबादवासियों के लिए गौरव की बात है. मानसिंह पवार ने कहा कि मेरे पिता मंदिर में जिस तरह मन लगाते थे, उतनी ही शिद्दत के साथ वे मस्जिद, चर्च तथा बुद्ध विहार में जाते थे. उनके द्वारा आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों का महत्व व उद्देश्य सामाजिक एकता था. किसी भी समाज अथवा धर्म को न दु:खाते हुए उन्होंने सामाजिक समरसता निर्माण करने का प्रयास किया, जिसमें उन्हें सफलता भी हाथ लगी. यहीं कारण है कि स्व. बालासाहब पवार की सर्वधर्म तथा समाज में विश्वसनीयता अधिक थी.

 रामराज्य निर्माण की शुरुआत हो

उद्योजक मानसिंह पवार ने कहा कि पूरे विश्व के लिए भगवान श्रीराम यह एकात्मता, समता,  भाईचारे तथा सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है. ऐसे में हर भारतीय के दिल में राम राज्य निर्माण हो यह भावना है. राम राज्य यानी आखिर क्या? इसका उत्तर है कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास. सर्व समावेशक रामराज्य निर्माण की नींव रखने का अवसर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिला है. वे उस दिशा में बढ़ भी रहे हैं.