कोरोना के बाद बदलनेवाले शिक्षा शैली पर बामू विश्वविद्यालय गठित करेगा टास्क फोर्स

Loading

औरंगाबाद. आगामी काल में कोरोना महामारी के खात्मे के बाद शिक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव होगा. उसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा. डिस्टेन्सिंग रखकर किस प्रकार से अध्यापन, प्रैक्टिकल, संशोधन, परीक्षा व मूल्यांकन करने के सारे निर्णय टास्क फोर्स के माध्यम से लिया जाएंगे. यह जानकारी डॉ. बाबासाहाब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. प्रमोद येवले ने यहां दी.

डॉ. येवले ने आज से एक वर्ष पूर्व बामू विश्वविद्यालय के कुलगुरु का पदभार संभाला था. इसकी पूर्व संध्या पर उन्होंने कुलगुरु का एक साल के कार्यकाल में उनके द्वारा लिए गए निर्णयों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इसके आगे के काल में कोविड से पूर्व का विश्व तथा उसके बाद का विश्व ऐसा बंटवारा तय है. ऐसे में आगामी काल काफी तकलीफ भरा है. इसके बावजूद योग्य दिशा देने का काम कुलगुरु होने के नाते मैं करुंगा.

विश्वविद्यालय के हित में लिए कई निर्णय

कुलगुरु डॉ. येवले ने बताया कि विश्वविद्यालय में 5 साल से रिक्त कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, उपपरिसर सरसंचालक, अधिष्ठाता सहित 7 संवैधानिक अधिकारियों के पद पूरे समय के लिए भरे. गत वर्ष सूखे के चलते परेशान छात्रों का शिक्षा शुल्क माफ करने का निर्णय लिया. डेढ़ सौ से अधिक ठेका पध्दति पर  प्राध्यापकों की नियुक्ति, जुडे़ हुए महाविद्यालय ने स्वायत्ता लेने के लिए प्रयास, वर्धापन दिन जीवन गौरव पुरस्कार के लिए नियमावली, इन्क्युबेशन सेंटर के लिए 2 करोड़ का निधि केन्द्र सरकार की ओर से प्राप्त हुआ, औरंगाबाद परिसर, उस्मानाबाद परिसर इन दोनों स्थानों पर कोरोना टेस्टिंग लैब शुरु, मुकुंदराज अध्यासन केन्द्र कार्यान्वित, विदेशी छात्रों के लिए एक खिड़की  योजना, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश पर व पीएचडी के लिए नियमावली तय की. कोविड-19 के चलते पीएचडी का वायवा ऑनलाइन लेने को मान्यता, कौशल्य विकास पर आधारित पाठयक्रम प्रशिक्षण के लिए प्राथमिकता देना, उसके लिए आगामी आर्थिक वर्ष में एक करोड़ का प्रावधान कर दिया गया. एनआईआरएफ रैंकिंग में देश में 85 वें स्थान से 69 वें स्थान पर लाकर आगामी वर्ष में बामू विश्वविद्यालय को टॉप 50 में लाने का संकल्प, प्रशासन के काम में गति व पारदर्शकता लाने के लिए फाईल ट्रैकिंग सिस्टम पर प्रथम माह में अमलीजामा पहनाने का निर्णय लिए जाने की जानकारी कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले ने यहां दी.