इंजीनियरिंग प्रवेश में 70:30 का फार्मूला रद्द करें सरकार

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  • खेडकर की सरकार से मांग

औरंगाबाद. कोरोना महामारी के चलते इंजीनियरिंग प्रवेश के लिए ग्रामीण परिसर के छात्र फिस अदा करने में असक्षम है. ऐसे में मराठवाडा के छात्रों के समक्ष अगली शिक्षा के लिए बड़े पैमाने पर अड़चन निर्माण हुई है. मराठवाडा के छात्रों को इंजीनियरिंग कॉलेज में अधिक से अधिक संख्या में प्रवेश मिलने के लिए 70:30 का फार्मूला रद्द करने की मांग कामगार मदद केन्द्र के अध्यक्ष अक्षय खेडकर ने राज्य के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत और पालकमंत्री सुभाष देसाई से की.

गुणवत्ता के आधार पर प्रवेश की मांग

जिस तरह वैद्यकीय महाविद्यालय में प्रवेश के लिए विभाग निहाय 70 प्रतिशत स्थानीय और बाकी  राज्य के 30 प्रतिशत स्थान आरक्षित थे. यह पध्दत राज्य सरकार ने बंद कर सभी स्थानों पर गुणवत्ता के आधार पर प्रवेश देने की मांग सरकार ने मंजूर की. उस बारे में हाल ही में निर्णय लिया गया.  वैद्यकीय महाविद्यालय में  प्रवेश प्रक्रिया के तर्ज पर इंजीनियरिंग महाविद्यालय के छात्रों को प्रवेश मिले. इंजीनियरिंग महाविद्यालय के  प्रवेश को लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर 70:30 फार्मूला सालों से जारी है. मेडिकल  विभाग के प्रवेश के लिए छात्रों को सरकार ने जिस तरह न्याय दिया, उसी तरह का न्याय सरकार ने इंजीनियरिंग के छात्रों को देने की मांग खेडकर ने की.

कॉलेज में नहीं मिल रहे छात्र

अंत में उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या बड़े पैमाने पर है. साथ ही उन कॉलेज में शिक्षा के लिए जरुरी छात्र नहीं मिल पाते. ऐसे में इंजीनियरिंग के  प्रवेश के लिए 70:30 फार्मूले की ओर आज तक किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. जिससे सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में ग्रामीण परिसर के छात्रों  को प्रवेश लेते समय 70:30 फार्मूले  के चलते गुणवत्ता धारक परंतु आर्थिक कमजोरी के चलते उन छात्रों पर अन्याय हो रहा है. इसलिए जल्द से जल्द इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए जारी 70:30 का फार्मूला रद्द करने की मांग कामगार मदद केन्द्र के अध्यक्ष अक्षय खेडकर ने उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय सामंत और पालकमंत्री देसाई से की.