– हाईकोर्ट ने लगाई आला अधिकारियों को फटकार
औरंगाबाद. शहर में कोरोना के बढ़ते कहर पर मुंबई उच्च न्यायालय के औरंगाबाद खंडपीठ ने चिंता जताते हुए प्रशासन के आला अधिकारियों की जमकर खिंचाई की. कोरोना महामारी को नियंत्रण में लाने की जिम्मेदारी वाले आईएएस स्तर के अधिकारियों ने इगो बगल में रखकर काम करने की अपेक्षा हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति टीवी नलावडे, न्यायमूर्ति श्रीकांत कुलकर्णी ने व्यक्त कर खंडपीठ कार्यक्षेत्र के सभी जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपना पक्ष आगामी एक सप्ताह में रखने के निर्देश दिए. हाईकोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी शुक्रवार को रखी है.
ध्यान रहे कि बीते 2 माह से शहर में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. इसको लेकर शहर के कई अखबारों ने आईएएस अधिकारियों में समन्वयता न होने से जिले में कोरोना कहर बरपाने की खबरें प्रकाशित की थी. इन खबरों पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर खुद से फौजदारी जनहित याचिका दायर कराकर ली. इसमें अमायकस क्यूरी यानी हाईकोर्ट के मित्र के रुप में विधि तज्ञ एड. राजेन्द्र देशमुख की नियुक्ति की. शुक्रवार को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति टीवी नलावडे, न्यायमूर्ति श्रीकांत कुलकर्णी ने औरंगाबाद में कोरोना महामारी के बढ़ते कहर पर चिंता जताते हुए कर्तव्य में कसूर करनेवाले अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ फौजदारी कार्रवाई करने के निर्देश दिए.
संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या चिंताजनक
हाईकोर्ट ने जिस अधिकारी व कर्मचारी पर कोरोना पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी है, वे उसे रोकने में नाकाम साबित हो रहे है. जिससे आए दिन औरंगाबाद शहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. मुंबई के धारावी तथा केरल में फैले इस संक्रमण को रोकने में वहां का प्रशासन कामयाब हुआ है. फिर औरंगाबाद में ही संक्रमितों की संख्या क्यों बढ़ रही है? इस पर हाईकोर्ट ने सवाल उठाया. न्यायमूर्ति टीवी नलावडे व न्यायमूर्ति श्रीकांत कुलकर्णी ने कहा कि महामारी नियंत्रण कार्यवाही में जन प्रतिनिधि, प्रशासकीय अधिकारियों के बीच कोई समन्वयता नहीं है. कई अस्पताल, विविध संस्था तथा कार्यालय में कई कर्मचारी अनुपस्थित रहने की जानकारी सामने आ रही है. इसको लेकर विस्तृत रिपोर्ट संबंधित विभागों ने अगली सुनवाई में हाईकोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए.
प्रतिबंध क्षेत्रों के नागरिक खुले आम घूमने पर उठाया सवाल
हाईकोर्ट ने प्रतिबंधित क्षेत्र के नागरिक खुले आम बाहर फिरने को लेकर भी सवाल उपस्थित कर कहा कि इसके कारण ही कोरोना का कहर औरंगाबाद में बरप रहा है. इसमें संबंधित यंत्रणा व पुलिस विभाग में समन्वयता नहीं दिखाई दे रही है. इसलिए इस मामले में जिले के संबंधित अधिकारियों को भी प्रतिवादी करने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए.
मरीजों के साथ खिलवाड पर संबंधित अधिकारियों पर हो कार्रवाई
शहर के जिन निजी अस्पताल तथा प्रयोगशालाओं ने कोरोना मरीजों के बारे में संबंधितों की ओर रिपोर्ट पेश नहीं की, उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? इसकी जानकारी भी पेश करने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए. मरीजों को मिली असुविधा, मृतदेह के साथ अवहेलना, मरीज पर समय पर इलाज न मिलने की कई घटनाएं अखबारों में प्रकाशित हुई है.उन घटनाओं के जिम्मेदार अधिकारियों पर फौजदारी कार्रवाई करना. जिन कर्मचारियों पर मरीजों की कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग की जिम्मेदारी थी, उन्होंने अपना काम बखूबी निभाया है क्या? इसकी विस्तृत रिपोर्ट भी पेश करने के निर्देश न्यायमूर्ति टीवी नलावडे तथा न्यायमूर्ति श्रीकांत कुलकर्णी ने दिए. मामले पर अगली सुनवाई आगामी शुक्रवार को होगी.