औरंगाबाद. पिछले कुछ दिनों से पुलिस (Police) के आला अधिकारी राजनीतिक दलों (Political Parties) में बांटने की खबरें सोशल मीडिया (Social Media) पर तेजी से वायरल (Viral) हो रही है। इससे पूरे विश्व में अपनी अलग छाप छोड़ी मुंबई पुलिस की छवि खराब हो रही है। ऐसे में जो भी पुलिस अधिकारी, जो सेवानिवृत्त होते हैं, उन्हें तुरंत लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य न बनाते हुए उन्हें सेवानिवृत्त के तीन साल बाद राजनीति में आने का एक कानून पारित किया जाए। यह मांग औरंगाबाद के सांसद इम्तियाज जलील (MP Imtiaz Jalil) ने संसद में शून्यकाल के दौरान की।
पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र में पुलिस के आला अधिकारी वर्सेस महाराष्ट्र सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। इसी मुद्दे पर सांसद जलील ने संसद में कहा कि पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र पुलिस और सरकार के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप से मुंबई सहित महाराष्ट्र पुलिस की छवि खराब हो रही है। हालत यह है कि मुंबई के आला अधिकारियों को राजनीतिक दलों को बांट दिया गया है। विशेषकर हाल ही में सांसद मोहन डेलकर की आत्महत्या के बाद इस मामले की जांच कौन करेगा? इसको लेकर कई दिनों तक राजनीति जारी रही।
कानून पारित करने की मांग
सोशल मीडिया पर कई अधिकारी शिवसेना के लिए तो कुछ अधिकारी एनसीपी और भाजपा के लिए काम करने के आरोप लग रहे है। वर्तमान में जो स्थिति निर्माण हैं, उससे इन आरोपों को बल मिल रहा है। ऐसे में जो भी पुलिस के आला अधिकारी यानी डीजी, सीपी अथवा अन्य अधिकारी पुलिस विभाग से सेवानिवृत्त होते ही, उन्हें राजनीतिक दलों में न लिया जाए। बल्कि, वे तीन साल तक राजनीतिक दलों में प्रवेश न करने को लेकर कानून पारित करने की मांग सांसद जलील ने संसद में की।