महिलाओं पर अत्याचार के मामलों का एक माह में निपटारा करें

  • महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष रहाटकर ने लिखा पीएम मोदी को पत्र

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औरंगाबाद. देश भर में महिलाओं पर अत्याचार के बढ़ते मामलों पर राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष तथा भाजपा की राष्ट्रीय सचिव विजया रहाटकर ने चिंता जताते हुए इन मामलों को रोकने के लिए प्रभावी उपाय योजना के सुझाव वाला पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजा.

विजया रहाटकर ने बताया कि उन्होंने राज्य के पूर्व पुलिस महासंचालक प्रवीण दीक्षित सहित कई अन्य तज्ञों से चर्चा कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं करने वाला पत्र लिखा. रहाटकर ने यूपी के हाथरस, बलरामपुर तथा महाराष्ट्र में महिलाओं पर हुई अत्याचार की घटनाओं पर चिंता जताते हुए यह पत्र लिखा है. 

लैगिंक अपराध के लिए डीएनए सबूत को मानें 

रहाटकर ने पीएम मोदी को सुझाव देते हुए बताया कि किसी भी लैंगिक अपराध के लिए डीएनए सबूत को माना जाना चाहिए. आरोप पत्र 24 घंटे में दाखिल कर इन मामलों का निपटारा एक माह में करें. उसके लिए न्यायालय सुबह 6 से रात 9 बजे तक दो शिफ्ट में चलाएं. लैंगिक अत्याचार, बलात्कार संबंधी शिकायतें कैमरे में रिकॉर्ड करें. शिकायत के बाद पुलिस का हस्तक्षेप होने तथा शिकायतों के भाषा में परिवर्तन होने की संभावना इससे कम होगी. शिकायतें संबंधित शिकायत कर्ता के भाषा में जस की तस पंजीकृत करें.

न्यायदंडाधिकारी के समक्ष एफआईआर सिर्फ इलेक्ट्रॉनिकली पंजीकृत करें. गवाह के हर जवाब के वीडियो रिकॉर्ड करें. फॉरन्सिक सैंपल जमा करने की प्रक्रिया वीडियो कॉल द्वारा रिकॉर्ड करें. निजी फॉरन्सिक  तज्ञ संबंधित पैनल पर रहें. तज्ञों ने मान्यता दिया हुआ मेडिकल पैनल रहें. डीएनए सबूत यह किसी भी लैगिंक अपराध के लिए मुख्य सबूत माने. जिससे परिणाम निकाल तक पहुंच पाएंगे. संबंधित मामले ई कोर्ट में चलाए. आरोप पत्र तथा सबूत डिजीटल पेश करें. संबंधित कोर्ट का कामकाज सुबह 6 से रात 9 बजे तक दो शिफ्ट में चलाए. इलेक्ट्रानिक सबूत मान्य करने के आदेश एवं सूचना न्यायालय को दे. अभियुक्त जमानत पर रिहा हुआ हो तो उस पर कठोर प्रतिबंधात्मक उपाय योजना करें. बॉड लिखकर  लेकर आरोपी के रिश्तेदार महिला के  जातिबंधन को ग्राहय  माने. 

केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों पर जताया समाधान 

रहाटकर ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि अपने कुशल मार्गदर्शन में केन्द्र सरकार ने महिला अत्याचार के खिलाफ विविध कानून पर प्रभावी रूप से अमलीजामा पहनाया है. साथ ही डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट साईबर क्राईम डॉट जीओई डॉट इन यह वेब पोर्टल तैयार करने से कोई भी पीड़ित महिला अत्याचार के खिलाफ कहीं से भी शिकायत कर सकती है. बलात्कार के घटनाओं की जांच  दो माह में पूरी कर उसके मामले फास्ट टै्रक कोर्ट में चलाए जा रहे हैं. फौजदारी कानून कडक कर बलात्कारियों को कम से कम शिक्षा का प्रमाण 10 साल जेल की है. वहीं, 12 साल की कम उम्र की लडकी पर बलात्कार करनेवाले अभियुक्त को फांसी का प्रावधान किया है. यह सभी उपाययोजनाएं कडक है. इसमें और कुछ बदलाव कर महिला अत्याचारों की घटनाओं का एक माह में निपटारा करने की मांग राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष विजया रहाटकर ने पीएम मोदी को भेजे पत्र में की.