मराठा आरक्षण को लेकर ठाकरे सरकार गंभीर नहीं

  • याचिका कर्ता विनोद पाटिल का आरोप

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औरंगाबाद. सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर मंगलवार को आयोजित सुनवाई स्थगित कर  अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद रखी है.इस पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कुछ समय के लिए स्थगित की गई थी. मंगलवार को मराठा आरक्षण पर सुनवाई के समय सरकारी वकील मुकूल रोहतगी अनुपस्थित थे.  सरकारी वकील अनुपस्थित होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण की सुनवाई 4 सप्ताह बाद रखी है. इस पर मराठा आरक्षण को लेकर याचिका दायर किए औरंगाबाद के सामाजिक कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने कड़ी नाराजगी जताते हुए ठाकरे सरकार मराठा आरक्षण मामले में गंभीर न होने का आरोप लगाया.

मंगलवार को सुनवाई के दरमियान मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी स्थगिति हटने के आसार थे. इसको लेकर मंगलवार को सभी की निगाहे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर लगी थी. मराठा आरक्षण को लेकर सुबह 11 बजे सुनवाई आरंभ हुई. सुनवाई में सरकारी वकील मुकूल रोहितगी अनुपस्थित थे. जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर 4 सप्ताह बाद अगली सुनवाई रखी है.

इससे नाराज याचिका कर्ता विनोद पाटिल ने कहा कि यह राज्य सरकार की गलती है. सरकार ने अपने वकील को सूचना देनी चाहिए थी. ठाकरे सरकार मराठा आरक्षण को लेकर शायद गंभीर नहीं है. जिसके कारण ही सरकारी वकील गैरहाजिर रहे. विनोद पाटिल ने कहा कि हमारे वकील सुनवाई के समय पैरवी के लिए उपस्थित थे. हमारे वकील ने सरकार का पक्ष सुनने की विनंती की. जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 4 सप्ताह के लिए आगे बढ़ा दी. जिससे यह साफ है कि राज्य सरकार मराठा आरक्षण को लेकर गंभीर नहीं है. यह आरोप याचिकाकर्ता विनोद पाटिल ने लगाया.