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    औरंगाबाद. जीआईएस (GIS) तथा ई गवर्नेस (E-Governance) प्रकल्पों के लिए एजेंसी की नियुक्ति के बाद पहली बार औरंगाबाद स्मार्ट सिटी  (Aurangabad Smart City) ने इस प्रकल्प पर  योजना बध्द तरीके से अमलीजामा पहनाने के लिए औरंगाबाद महानगरपालिका एवं एजेंसी के अधिकारियों की संयुक्त बैठक मनपा मुख्यालय में आयोजित की गई थी।

    मनपा प्रशासक तथा कमिश्नर एवं औरंगाबाद स्मार्ट सिटी के सीईओ आस्तिक कुमार पांडेय के निर्देश पर मनपा के अतिरिक्त आयुक्त बी.बी. नेमाने, सहायक संचालक नगररचना जयंत खरवडकर, कार्यकारी अभियंता ए.बी. देशमुख, बी.बी.फड, हेमंत कोल्हे, एम्नेक्स टीम के दिलीप पंचाल, मार्स टेलीकॉम के. के. जगन्नाथ के साथ बैठक संपन्न हुई। प्रकल्प व्यवस्थापन सलाहकार एमआईपीएल के प्रसाद पाटिल, एएससीडीसीएल के सहायक प्रकल्प व्यवस्थापक स्नेहा नायर तथा प्रकल्प अभियंता फैज अली उपस्थित थे। बैठक में संबंधित अमलीजामा पहनानेवाले एजेंसी के प्रतिनिधियों ने जीआईएस प्रकल्प के घटक तथा कार्यक्षेत्र, प्रकल्प की समय सारणी, प्रकल्प व्यवस्थापन प्रारुप, हिस्से धारकों की जनजागृति, नियमित रिपोर्ट पेश करना, मुख्य आवाहान, जरुरी समर्थन, जोखिम प्रतिसाद योजना, जीआईएस सर्वे, डेटा अधिग्रहण प्रक्रिया, मनपा एवं एएससीडीसीएल की ओर से लगनेवाली जानकारी दी।

    औरंगाबाद शहर में 170 वर्ग मीटर का सर्वेक्षण होगा

    जीआईएस प्रकल्प में हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर वितरण, सिटी बेस मैप तैयार करना, सर्व से डाटा संकलन तथा जीआईएस प्लाट फार्म तैयार करना शामिल है। समर्पित जीआईएस सेल, ग्लोबल पोसिनशिंग सिस्टिम सर्वेक्षण व ड्रोन सर्वे,उपग्रह प्रतिमा संपादन एवं बेस मैप निर्मिती सहित संपत्ति सर्वे की स्थापना करना, हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर की प्रोजेक्टर मैनेजमेंट आपूर्ति व स्थापना शामिल है। इस प्रकल्प के अंतर्गत औरंगाबाद शहर में 170 वर्ग मीटर का सर्वेक्षण किया जाएगा। शहर के संपत्तियों का जीआईएस डेटा का डिजीटलायझेशन तीन स्तर पर किया जाएगा। यानी ड्रोन सर्वे, घर- घर जाकर सर्वे तथा एनआरएससी, हैदराबाद के उच्च रिझोल्यूशन उपग्रह प्रतिमा तथा मनपा एवं भूमि अभिलेख विभाग की ओर से उपब्ध डेटा द्वारा एजेंसी मई 2022 तक संपत्ति व पेयजल आपूर्ति धारकों सहित अन्य सभी स्तरों की पहचान व मैपिंग 100 प्रतिशत पूरा करेंगी। जीआईएस तथा ई-गवर्नेंस यह दोनों प्रकल्प क्लाउड डेटा सेंटर पर निर्भर रहेंगे। पीएमसी के प्रसाद पाटिल ने कहा कि दोनों प्रकल्पों की देखरेख समयावधि 10 साल का है। उसके अनुसार संपूर्ण यंत्रणा आधुनिक कर जरुरत के अनुसार नियमित की जाएगी।