मेरा स्टाइल मेरी पहचान: मनुजा तिवारी

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    फैशन और स्टाइल किसे पसंद नहीं होता! हर कोई स्टाइलिश दिखना चाहता है। लेकिन कई बार हम स्टाइल के चक्कर में कंफर्ट को नजरअंदाज कर देते हैं। फैशन की दौड़ में पिछड़ने की होड़ में उस फैशन को फॉलो करते हैं जो हमें सूट नहीं करता, इसलिए कपड़ों का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए। यह कहना है हाउसवाइफ और सोशल वर्कर मनुजा तिवारी का।

    नवभारत के ‘बी ब्यूटीफुल’ उपक्रम में की गई बातचीत में उन्होंने बताया कि व्यक्ति को फैशन की जानकारी होना बहुत जरूरी है। क्योंकि हर मौके की अपनी नजाकत होती है। किस अवसर पर क्या पहना जाए, यह बात काफी मायने रखती है। मनुजा की पहचान उनकी स्टाइल है। उन्हें ड्रेसिंग सेंस के लिए जाना जाता है। मौके के अनुसार परिधान में भारतीय संस्कृति की झलक भी दिखे, ऐसा फैशन उन्हें पसंद है। इसलिए मनुजा को भारतीय फैशन आइकन कहा जा सकता है।

    मनुजा भले ही हाउसवाइफ हैं लेकिन उनका कार्यक्षेत्र काफी विस्तृत है। सोशल वर्क में हमेशा आगे रहने वाली मनुजा का कहना है कि उन्हें नागपुर शहर ने एक नई पहचान दी है और वो इसे अपने कार्य से आगे बढ़ा रही हैं। मूलत: छिंदवाड़ा के अमरवाड़ी की रहनेवाली मनु ने वकालत की डिग्री हासिल की है। यही कारण है कि वे सोशल वर्क के दौरान किसी के हक के लिए आगे बढ़कर बात रखती हैं। मनुजा को फैमिली का हमेशा सपोर्ट रहा है।

    उनका मानना है कि नौकरी और बिजनेस में पैसा कमाकर हम धनवान बन सकते हैं लेकिन सामाजिक कार्यों में अग्रसर रहकर जरूरतमंदों की सहायता करना, किसी को मदद का हाथ देने में जो आनंद और संतुष्टि मिलती है, उसका सुख अलग ही होता है। नवभारत से की गई चर्चा में मनुजा ने फैशन को लेकर कई सवालों के जवाब दिए।

    कपड़ों का चुनाव कैसे करें?

    उत्तर- सबसे पहले तो कपड़ों का चुनाव करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि वह आपके साइज के हिसाब से हों। मसलन, ज्यादा लूज या एकदम टाइट न हों। कपड़ों का चुनाव मौसम के अनुसार किया जाना चाहिए। गर्मियों में हल्के रंग और कॉटन के कपड़े सही रहते हैं। हल्के रंग कम हीट एब्जॉर्व करते हैं और कॉटन पसीना सोखकर आपको कूलिंग इफेक्ट देता है।

    किसी भी पार्टी या खास मौके पर तैयार होने के लिए आपको अपने पसंदीदा रंग की पोशाकों का चयन करना चाहिए। दिन में पार्टी हो तो गुलाबी, सफेद, आसमानी, पीला, मोती कलर और नारंगी पहनें। रात में पार्टी हो तो बैंगनी, काला, लाल, डार्क ब्लू, ब्राउन और चॉकलेटी रंग अच्छे लगते हैं।

    कितना मायने रखती है पर्सनैलिटी?

    ड्रेसिंग सेंस में व्यक्तित्व काफी महत्वपूर्ण साबित होता है। अपनी हाइट के हिसाब से कपड़े चुनें। उदाहरण के लिए अगर मैक्सी ड्रेस या फिर लांग ड्रेस चुन रही हैं तो देख लें कि वह आपकी हाइट के हिसाब से हो। आपकी हाइट यदि काफी कम है तो लांग ड्रेस न लें, वरना यह आपको बहुत ही अजीब सा लुक देगी। कम हाइट वाली लड़कियों पर मैक्सी ड्रेस बहुत अच्छी लगती है।

    एक्सेसरीज कैसी हो?

    मौसम और ड्रेस के अनुसार एक्सेसरीज पहनें। गर्मियों में जितनी कम एक्सेसरी पहनें, उतना अच्छा है। ज्वेलरी का सही चयन आपके कपड़े और लुक में चार चांद लगा सकता है। कई बार लड़कियां और महिलाएं ड्रेस और मेकअप तो बहुत अच्छी तरह से करके तैयार हो जाती हैं लेकिन गलत एक्सेसरीज व ज्वेलरी का चयन उनके पूरे लुक को फीका कर देता है।

    यह धारणा बिल्कुल गलत है कि ज्यादा एक्सेसरीज व ज्वेलरी पहनकर आप ज्यादा खूबसूरत लगेंगी। कभी भी इतनी ज्यादा एक्सेसरीज न पहनें कि खुद को पूरी तरह से ढक लें। यदि गले में भारी ज्वेलरी पहन रही हैं तो उसके साथ इयररिंग्स हल्के पहनें। यदि भारी इयररिंग्स पहनना चाहती हैं तो फिर इनके साथ गले में हल्की चेन पहनें। पारंपरिक परिधान के साथ हैवी स्टोन ज्वेलरी पहन सकती हैं।

    इंडो वेस्टर्न परिधान के साथ प्रेशियस स्टोन वाला नेकलेस अच्छा लुक देता है। पार्टी में पतली चेन के साथ मल्टी कलर्ड स्टोंस वाला पेंडेंट भी पहन सकती हैं। गहरे और हल्के रंग के कपड़ों के साथ अलग-अलग प्रकार की ज्वेलरी ट्राई की जा सकती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि जिस रंग की ज्वेलरी आप पहन रही हैं, वह पूरे लुक को कॉम्प्लिमेंट करनी चाहिए। यदि आपके पूरे कपड़े हल्के व पेस्टल रंग के हों तो इनके साथ मल्टीकलर की ज्वेलरी आपके लुक को बेहतर बनाती है।

    साड़ी की दीवानी मनु

    मनुजा को सभी पहनावे में साड़ी सबसे ज्यादा पसंद है। वो इसमें शालीनता की झलक देखती हैं। उनका मानना है कि केवल आधुनिक परिधान पहनकर ही व्यक्ति मॉडर्न नहीं कहलाता, बल्कि हमें विचारों से आधुनिक होना चाहिए। साड़ी हमारा पारंपारिक परिधान है। इसे कई तरीके से पहना जा सकता है।

    साड़ी पहनने के कई तरीके भले ही भौगोलिक स्थिति, पारंपरिक मूल्यों और रुचियों पर निर्भर करते हों लेकिन यह ऑल्वेज बेस्ट साबित होती है। किसी बड़े फंक्शन में जाना हो और ड्रेस को लेकर कन्फ्यूज हों तो सबसे बेस्ट ऑप्शन होता है साड़ी। इसे पहनकर किसी भी कार्यक्रम में जाकर वहां चार चांद लगा सकती हैं।

    जैसी साड़ी वैसे आभूषण

    साड़ी में महिलाओं की सुंदरता कुछ और ही बढ़ जाती है। यही वजह है कि साड़ी हर दौर में महिलाओं की पसंद रही है। लेकिन इस बात का भी खयाल रखा जाना जरूरी है कि आपके आभूषण साड़ी पर जंचने वाले हों। तेजी से बदलते इस दौर में अब कई तरह की डिजाइनर साड़ियों के ऑप्‍शन सामने हैं। कॉटन की साड़ी के साथ बैम्बू ज्वेलरी भी खूब जंचती है। सिल्क की साड़ी के साथ साधारण चोकर पहनें या सादी साड़ी के साथ बड़े और भारी पेंडेंट का इस्तेमाल कर सकती हैं।

    अपनी एथनिक ऑफिस अलमारी में फैशनेबल हथकरघा साड़ी शामिल करें। ये गाढ़े रंग, दोहरे-टोन, बुनी हुई, मोतियां गुथी हुई, टसल-वर्क, हाथ की कढ़ाई वाली या अलग-अलग प्रकार की कारीगरी वाली साड़ियां हो सकती हैं। इसके साथ बड़े-बड़े इयररिंग, चंकी नेकलेस इसे और भी प्यारा लुक देंगे। रंगों की बड़ी संख्या में शिफॉन की साड़ियां और भी खास हैं।

    ये साड़ियां आपका शानदार लुक पेश करती हैं। इसके साथ अलग तरह के हेयरपिन का इस्तेमाल किया जा सकता है। रेशम की साड़ी भी खरीदें। सिल्क की साड़ियां खास तौर से त्‍योहारों और शादी समारोहों के लिए लोगों की पसंदीदा होती हैं। किसी अवसर पर सिल्क की साड़ी में आप साधारण मांगटीका या एक चोकर के साथ खूबसूरत दिख सकती हैं।

    अलमारी में चाहिए खास स्टॉक

    भारतीय संस्कृति और हिन्दू परम्परा में साड़ी महिलाओं का प्रमुख परिधान है। वेस्टर्न कपड़े चाहे जितना पहन लो लेकिन लड़कियां सबसे ज्यादा खूबसूरत साड़ी में ही लगती हैं। शादी-ब्याह हो या पूजा-पाठ, हर जगह आज भी साड़ी पहनने का ही ट्रेंड है। साड़ियां कई तरह की होती हैं जिन्हें हर महिला को अपनी अलमारी में रखना  चाहिए।

    बनारसी

    यह बनारस और उसके आस-पास के शहरों में बनाई जाती है। प्राचीन काल में इन साड़ियों में सोने और चांदी के तार का काम हुआ करता था, पर अब इसके अत्यधिक महंगे होने के कारण कृत्रिम तारों का प्रयोग होता है। विवाह और शुभ अवसरों पर बनारसी साड़ी पहनना आज भी गर्व का प्रतीक है।

    कांजीवरम

    तमिलनाडु के कांचीपुरम में बनने वाली रेशमी साड़ी को कांजीवरम साड़ी के नाम से जाना जाता है। इन साड़ियों को बनाने में शहतूत के रेशम का प्रयोग किया जाता है। इन साड़ियों का बार्डर और आंचल एक रंग का होता है और बाकी साड़ी दूसरे रंग की।

    तांत की साड़ी

    बंगाली महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली पारंपरिक साड़ी ‘तांत की साड़ी’ के नाम से जानी जाती है। यह बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल के बुनकरों के द्वारा बुनी जाती है। इसे बनाने के लिए सूती धागों का प्रयोग किया जाता है। इसमें जरी अथवा सूती किनारा होता है।

    पैठणी

    महाराष्ट्र के पैठण शहर में बनने के कारण इस साड़ी को पैठणी के नाम से जाना जाता है। यह भारत की सबसे महंगी साड़ियों में से एक है। यह उच्चकोटि के महीन रेशम से बनती है। इसकी विशेषता इसके मोर की अनुकृति वाले पल्लू होते हैं। यह एकरंगी तथा बहुरंगी होती है। इसमें सुनहरे तारों का भी प्रयोग किया जाता है।

    बांधनी

    यह एक पांरपरिक परिधान है जो हथकरघे पर बुना जाता है। यह संबलपुर और उसके आस-पास के क्षेत्र में बनती है। इसमें ताना-बाना के धागे बुनाई से पहले रंग लिए जाते हैं। इसमें आमतौर पर शंख, चक्र, फूल आदि बनते हैं। यह अधिकतर सफेद, लाल, काले, नीले रंगों की होती है। यह बांधाकला (टाई-डाई) की पारंपरिक शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है।

    बालूचरी

    प्रसिद्ध बालूचरी साड़ी मुर्शिदाबाद ( बंगाल) में बनती है। इसे बनने में 7 से 10 दिन लगते हैं और एक साड़ी बनाने के लिए दो लोग लगते हैं। इन साड़ियों पर रेशम के महीन धागों के द्वारा पौराणिक कथाओं के दृश्य बनाए जाते हैं। यह साड़ी भी बहुत महंगी होती है।