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    भंडारा. प्राकृतिक कोप का कितना भी सामना करना पड़े फिर भी किसान हर वर्ष अपनी फसलें लेते ही रहते हैं. धान के अलावा कोई दूसरी फसल उगाने के प्रति यहां के किसान कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष धान के क्षेत्र में 27,000 हेक्टेयर की वृद्धि होगी. धान उत्पादक किसानों ने बताया कि इस वर्ष पूरे भंडारा जिले में 2.14 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई किए जाने का लक्ष्य रखा गया है.

    भंडारा जिला धान का मुख्य उतपादक जिला है. धान की कटोरा के रूप में विख्यात भंडारा जिले का भौगोलिक क्षेत्र 3 लाख  42 हजार 300 हेक्टेयर है. जिले में औसत तौर पर 1,330 मिमी वर्षा होती है. जिले में धान का सर्वसाधारण क्षेत्र 1.80 लाख  रहा है, लेकिन इस बार कहा जा रहा है कि धान उत्पादन क्षेत्र में भी भारी वृद्धि हुई है. धान की फसल किसानों के लिए नुकसान का विषय होने के बावजूद किसान धान की फसल को छोड़ नहीं पा रहे हैं. चाहे लाभ हो या किसी भी हानि. धान की बुआई से लेकर कटाई तक विभिन्न समस्याओं तथा प्रकृति के कोप का शिकार किसानों को हर साल होना पड़ता है.  

     धान को सरकारी केंद्र में ले जाने, उसकी बिक्री करने, चुकारा-बोनस प्राप्त करने में किसानों का पसीना छूट जाता है. कृषि विभाग के नियोजन के आधार पर जिले की 2 लाख 91 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सबसे ज्यादा धान  2.13.837  हेक्टेयर,  तुअर दाल 11.854  हेक्टेयर, सोयाबीन 600  हेक्टेयर एवं कपास की खेती 800 हेक्टेयर क्षेत्र में होती है.