Unlock Phase 1

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भंडारा (का). राज्य मार्ग परिवहन महामंडल (एसटी) भंडारा विभाग को कोरोना के काऱण किए गए लॉकडाउन के कारण भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. भंडारा विभाग में हर दिन 45 लाख की राजस्व राशि कोरोना की भेंट चढ़ गई. लॉकडाउन के 54 दिन में 413 एसटी बसों के पहिए थमे, जबकि इससे एसटी को 23 करोड़, 85 लाख रूपए नुकसान सहन करना पड़ा है.

महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल के भंडारा विभाग के अंतर्गत भंडारा तथा गोंदिया इन दोनों का समावेश है. इसमें भंडारा, गोंदिया, साकोली, तुसमर, पवनी तथा तिरोड़ा इन छह डिपो का समावेश है. इन डिपो के अंतर्गत लगभग 419 बसों का परिचालन होता है. कोरोना के बढ़ते प्रादुर्भाव के कारण राज्य सरकार ने 23 मार्च से एसटी बसों का परिचालन करना बंद कर दिया. लॉकडाउन के 54 दिनों में एसटी बसें अपने बेड़े में ही खड़ी रहीं.

भंडारा विभाग के अंतर्गत 22 मार्च तक एसटी बसों का सुचारु रूप से परिचालन होता रहा. लेकिन 23 मार्च से केंद्र की मोदी सरकार की ओर से की गई लॉकडाउन की घोषणा के बाद 17 मई तक एसटी बंद रही. समाचार लिखे जाने तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई थी कि लॉकडाउन- 4 में एसटी बसों का परिचालन होगा या नहीं. बसों का परिचालन न होने के कारण भंडारा एस टी स्टैंड का मुख्य गेट तक बंद कर दिया गया है. जिस गेट के सामने आमतौर पर यात्रियों की भीड़ उमड़ा करती थी, वहां गज़ब का सन्नाटा फैला हुआ है.

एसटी बस बंद होने के कारण बहुत से लोगों के गांव जाने का सपना भंग हो गया है. एस टी बस कब शुरु होगी, इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. लॉकडाउन के शुरु होने से अप्रैल माह के आरंभ तक एसटी को आठ दिन में 3 करोड़, 60 लाख का नुकसान उठाना पड़ा, जबकि अप्रैल माह तक एस टी को हुए नुकसान की धनराशि 13 करोड़, 50 लाख रूपए तक पहुंच गई. अगर गत वर्ष 2019 में एसटी के भंडारा विभाग को मिली आय से तुलना करें तो इस वर्ष को एसटी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है.

पिछले वर्ष मार्च माह में सहयाद्री डिपो के माध्यम से 15 करोड़, 60 लाख रूपए एसटी की तिजोरी में जमा हुए थे. इनमें से भंडारा डिपो ने 3 करोड़, 31 लाख, गोंदिया डिपो ने 3 करोड, 38 लाख, साकोली डिपो ने 3 करोड़, 34 लाख, तिरोड़ा डिपो ने 1 करोड, 21 लाख, तुमसर ने 2 करोड़, 81 लाख तो पवनी डिपो ने 1 करोड़, 21 लाख रूपए की राजस्व राशि की कमाई की. लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण किए गए देशव्यापी बंद के कारण भंडारा डिपो की बसों के चक्के जाम रहे और सभी बसें अपने बेडे में 54 दिनों तक रूकी रहीं, इस वजह से एसटी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है.