- सरकारी की तुलना में निजी अस्पतालों का प्राथमिकता
भंडारा. कोरोना से जुडी किसी भी हालात का सामना करने के लिए जिले की स्वास्थ्य यंत्रणा पूरी तरह से तैयार है. जिले में इस समय कुल 995 की व्यवस्था है. इसमें से मात्र 197 बेड पर मरीज उपचार ले रह है. जबकि 798 बेड उपलब्ध है.
निजी अस्पताल पर ज्यादा भरोसा
प्राप्त आंकड़ों पर नजर डाले तो 197 में से 101 मरीज सरकारी एवं 96 मरीज निजी अस्पतालों में उपचार ले रहे है. जबकि सर्वाधिक बेड उपलब्धता सरकारी अस्पतालों में है. जो यह दर्शाती है कि मरीज एवं उनके रिश्तेदारों ने सरकारी यंत्रणा की तुलना में निजी अस्पतालों पर ज्यादा भरोसा दिखाया है.
सरकारी में 806 में से 705 बेड खाली
आंकड़े बताते है कि जिला अस्पताल के आयसीयु में कुल 30 बेड है, इसमें से 21 पर उपचार चल रहा है एवं 9 खाली है. जिला अस्पताल के आयसोलेशन में 145 बेड की उपलब्धता है, जिसमें 45 पर उपचार चल रहा है और 100 बेड खाली है. नर्सिंग होस्टेल, आय वार्ड, टीबी वार्ड, पेमेंट वार्ड में कुल 205 बेड की व्यवस्था है. यह सभी खाली है.
कमोबेश यह स्थिति तहसील स्तर के केंद्रों की है. लाखांदुर में 46, लाखनी में 30 मोहाडी में 20, राजेदहेगाव सेंटर में 130 बेड की व्यवस्था है एवं यह सभी खाली है. केवल तुमसर में 30 में से 27, साकोली में 30 में से 2,पवनी में 100 में से 96 बेड खाली है. सरकारी यंत्रणा के अंतर्गत कुल 806 बेड की उपलब्धता है. इसमें से 101 बेड पर उपचार चल रहा है एवं 705 बेड खाली है.
निजी केंद्रों में भीड
कोरोना नियंत्रण को देखते हुए सरकार ने निजी अस्पतालों में कोविड सेंटर खोलने की अनुमति दी थी. आंकड़ों के अनुसार निजी अस्पतालों में मरीज़ों की उपस्थिति अधिक है.
इसमें स्थानीय अशोका हाटेल के कोविड सेंटर में 46 में से 20, रायल प्लाजा कोविड सेंटर में 25 में से 18, न्यू लाइफ हास्पीटल में 18 में से 13, प्रयास हास्पीटल में 19 में से 15 एवं नाकाडे हास्पीटल में 25 में से 21 बेड खाली है.
जबकि स्पर्श हास्पीटल में सभी 36 बेड पर मरीजों पर उपचार चल रहा है. इसके अलावा यादवराव पडोले स्मृति अस्पताल में 15 में से 14 पर उपचार चल रहा है. संकलित आंकडों पर नजर डाले तो निजी अस्पतालों में कुल 189 बेड की उपलब्धता है, इसमें से 96 बेड पर मरीजों पर उपचार जारी है, 93 बेड खाली है.
मौतों को विश्लेषण
कोविड 19 से भंडारा जिले में जो मौतें हुई. उसका विश्लेषण करने पर पता चलता है कि 5 दिसंबर तक जिले में कुल 280 मौते हुई. इसमें से सरकारी अस्पताल में 162, निजी अस्पतालों में 23 मौतें हुई. अन्य जिले के अस्पतालों में 61 मौते हुई. जबकि घर में उपचार लेते हुए 14 मरीज़ों की जानें गई. अगर प्रतिशत में बात की जाए तो कुल 62.3 प्रतिशत मौते सरकारी अस्पताल एवं अन्य जिले में हुई मौतों का प्रतिशत 23.9 है.
चिंतन जरूरी
सरकारी की तुलना में निजी अस्पतालों में उपचार लेने के लिए मरीज़ों की प्राथमिकता के कारणों का चिंतन होना आवश्यक है. उल्लेखनीय है कि जब जिले के एक जन प्रतिनिधि को कोरोना हुआ. वे नागपुर के बडे अस्पताल से लौटकर भंडारा जिला अस्पताल में भर्ती हुए. लेकिन जब उन्हे हाथ में सलाईन लेकर डाक्टर को ढूंढने की नौबत आयी. उन्होने परिवार समेत नागपुर में महंगा उपचार लेने का निर्णय लिया. प्रशासन को चाहिए कि वे मरीज एवं उनके रिश्तेदारों की प्रतिक्रियाएं संकलित कर उपाय योजनाएं करना चाहिए, ताकि सरकारी अस्पतालों पर आम नागरिकों को भरोसा हो सके.