शहर में अफलातून अतिक्रण हटाव कारवाई प्रारंभ

  • दुकान चढने की सीढियों को भी माना अतिक्रमण
  • दंबंगों द्वारा संरक्षित अतिक्रमण को किया नजर अंदाज

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– विजय खंडेरा

भंडारा. भंडारा में हमेशा की तरह अतिक्रमण हटाव कारवाई को आरंभ किया गया है. हमेशा की तरह ही इस बार भी अतिक्रमण हटाव कारवाई का केंद्र मेन रोड को रखा गया है. उल्लेखनीय है कि सडक से दूकान में चढने की अस्थायी सीढी, सूरज की धुप को दुकान के भीतर में आने से रोकने के लिए लगाई गए शेड को भी अतिक्रमण मानते हुए बुलडोजर न धडाधड हटाया गया. इस अफलातून कार्रवाई से करदाता व्यापारियों में आक्रोश है. वहीं दूसरी ओर नगर परिषद की खेल मैदान, नप गांधी स्कूल की सौगन से बनी छत, दरवाजे व खिडकी चौकट को चुराने के बाद वहीं पर अतिक्रमण फैलाकर बैठे अतिक्रमणकारियों को कारवाई से बचाने की प्रयास की भी निंदा हो रही है.

कार्रवाई के लिए गलत समय

पिछले हफ्ते तक हर रविवार को साप्ताहिक अवकाश रहता था एवं दूकानें शाम 5 बजे बंद होती थी. व्यापारियों ने स्वयंस्फूर्ति से आगे आकर प्रस्ताव दिया. जिसके तहत पूर्व की भांति मंगलवार को साप्ताहिक अवकाश एवं रोजाना दुकानें बंद करने का समय शाम 7 बजे कर दिया गया. उल्लेखनीय है कि ठीक शाम 7 बजे दुकानें बंद करवाने की जिम्मेदारी भी व्यापारियों ने खुद उठाई. जो प्रशासन के लिए संभव नहीं था. उसे व्यापारियों ने संभव कर दिखाया. दुकानें 7 बजे बंद होने लगी. इस निर्णय लागू होने के बाद पहले ही मंगलवार को नगर परिषद द्वारा मेन रोड पर अतिक्रमण हटाव कार्रवाई से व्यापारी हैरान है. उनका मानना है कि ऐन त्यौहार सीजन के पहले इस तरह की कार्रवाई से गलत संदेश गया है.

सीढी और छत भी हटाई

भंडारा शहर मेन रोड में सडक के किनारे अब तक फुटपाथ नहीं बने है. जिससे सडक की तुलना में दुकानों की दहलीज उंचाई पर है. इसलिए दुकान में प्रवेश के लिए सीढी अनिवार्य है. इसलिए कई दुकानमालिकों ने लोहे के ग्रील या फिर ईंट की सीढी बनाई है. यही हाल छत का है सूरज के पश्चिम में जाने पर सूरज की सीधी किरनें दुकान में प्रवेश करती है. इससे रोकने के लिए दुकामालिकों ने हजारों खर्च कर फोल्डेबल छत लगाई है. अतिक्रमण हटाव कार्रवाई में इसे भी हटा दिया गया.

हर बार मेन रोड ही क्यों ?

भंडारा शहर में अतिक्रमण की सबसे बूरी स्थिति शहर के अन्य इलाके में है. जहां अतिक्रमणकारियों ने 70 लाख रु. खर्च कर बनाए गए लडकियों के खैल मैदान में बिजली के खम्बे से लेकर लोहे के गेट भी चुरा लिए. सडक से सटे नाले पर पट्टियां डाल कर दुकानें खोल ली. पास में गांधी पूरानी नप स्कूल की सौगन लकडी से बनी छत, दरवाजे, खिडकियों को कबाडियों ने चुरा लिया. ईंटें एवं फर्श भी उठा ले गए. और अब हालात है कि सडक से स्कूल भी नजर नहीं आती. सडक से सटी जमीन पर दुकानें लगा दी गयी है.

मिल गया है इलेक्ट्रीक कनेक्शन

हैरानी की बात है कि आम नागरिकों को इलेक्ट्रीक कनेक्शन देने के लिए कई चक्कर काटने के लिए मजबूर करनेवाले महावितरण ने इन अतिक्रमणकारियों को बडी आसानी से इलेक्ट्रीक कनेक्शन दिया है. बताया जाता है कि अतिक्रमणकारियों को कनेक्शन मिलने के लिए नप द्वारा एनओसी भी दी जाती है.

दबंगों की मुंहजोरी के आगे प्रशासन बेबस : नप की कार्यप्रणाली को नजदीक से जाननेनवाले पूर्व नगरसेवक एवं पदाधिकारी, नप में काम कर चुके सेवानिवृत्त अधिकारी एवं कर्मचारियों की माने तो कुछ दबंग जनप्रतिनिधियों की मुंहजोरी एवं कुछ नगरसेवकों द्वारा अन्याय के खिलाफ आवाज न उठाने की कमजोरी की वजह से नप प्रशासन को घुटने टेकने पडते है. चूंकि शहर के अन्य इलाके में अतिक्रमण हटाव कार्रवाई की स्थिति में प्रशासन को अपने ही जनप्रतिनिधियों से अपशब्द सुनने पडते है व अतिक्रमणकारियों द्वारा कडे विरोध का सामना करना पडता है. फलस्वरूप अतिक्रमण हटाव कार्रवाई का आरंभ व अंत मेन रोड से लेकर जिलाधिकारी चौक, या फिर खात रोड परिसर तक ही सीमित होता है.

नई सीईओ को मौका

भंडारा नगर परिषद में आईएस कैडर से प्रशासनीक प्रशिक्षण पर आयी युवा महिला अफसर मीनल करनवाल के समक्ष भंडारा शहर में व्याप्त अतिनियमिता, वोटबैंक आधारित अतिक्रमण को हटाकर भंडारा शहर को सुंदर बनाने का अच्छा मौका है. अगर यह इन चुनौती को पूरा कर पाती है, उनके करीयर का आगाज शानदार रहेगा. साथ ही भंडारा शहरवासियों के दिल में वह हमेशा के लिए जगह बना सकती है.

वास्तविक अतिक्रमण की पहचान करें

सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने का कार्रवाई यह औपचारिकता तक बनी न रहें. बल्कि अतिक्रमण हटाने के पश्चात पुन: अतिक्रमण न हो इसके लिए आवश्यक प्रयास होने चाहिए. मेन रोड परिसर में अगर दुकान के सामने डीवायडर लगे एवं फूटपाथ बनाया जाए तो अतिक्रमण नहीं होगा. इसी तरह नगर परिषद के सामित्ववाली भूमि को कंटीलें तार की बाड लगाकर सुरक्षित किया जा सकता है. कालेज रोड पर स्थित नप के लडकियों के खेल मैदान को सुसज्जित कर महिला संगठनों को उपयोग के लिए दिया जाना चाहिए. शहर में खाली पडी जमीन पर पार्किंग जोन बनाने का प्रस्ताव लंबे समय से प्रलंबित है, उसपर भी विचार होना चाहिए.

फिर तो यह भी अतिक्रमण : 

गांधी चौक में नगर परिषद भवन के सामने सिमेंट की सीढी एवं लोहे की ग्रील से बना स्टेज है. लोगों का कहना है कि नप जिस आधार पर दूसरों का अतिक्रमण हटाती है. नप को अतिक्रमण हटाव कार्रवाई की शुरूवात अपने भवन से ही करनी चाहिए.