6 suspended including civil surgeon in Bhandara fire case

  • 11 दिन बाद हुई कारवाई
  • 'सरकारी' को 'सरकार' ने बचाया के लग रहे आरोप

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भंडारा. 9 जनवरी की रात में स्थानीय जिला अस्पताल के शिशु केयर यूनिट में लगी भयंकर आग के चलते भंडारा सुर्खियों में आ गया. इस अग्निकांड के चलते शहर शर्मसार हो गया. अब जब 11 दिन बाद संबंधित अधिकारियों के मात्र निलंबन और तबादला की कार्रवाई की घोषणा मुंबई से हुई तो इसको लेकर भी स्थानीय लोगों में गुस्सा है. लोगों का कहना है कि आखिरकार, ‘सरकारी’ को ‘सरकार’ ने बचा ही लिया.

गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री ने भंडारा जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डा. प्रमोद खंडाते, मेडिकल अधिकारी अर्चना मेश्राम के निलंबन, ए.सीएस डा. सुनीता बढ़े का तबादला, बालरोग विशेषज्ञ डा. सुशील अंबादे का निलंबन, नर्स ज्योति भारस्कर, अधिपरिचारिका स्मिता आंबीददुलके एवं शुभांगी साठवणे को सेवामुक्त करने की जानकारी मुंबई में पत्र परिषद में दी. लोगों ने मात्र निलंबन की कार्रवाई पर अपनी नाराजगी जताई है.

रिपोर्ट के बाद जिले में गुस्सा

पत्र परिषद का ब्यौरा भंडारा पहुंचते ही कहीं गुस्सा देखा जा रहा है तो कहीं राहत महसूस की जा रही है. कुछ ने रिपोर्ट को मात्र लीपापोती करार दिया. सांसद सुनील मेंढे, विधायक डा. परिणय फुके, पूर्व विधायक चरण वाघमारे सभी नाराज़ नजर आए. अनुमान था कि अग्निकांड के लिए जिम्मेदार प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष व्यक्ति एवं संस्थाओं के खिलाफ भी कारवाई की अनुशंसा की जाएगी. जिसके बाद 16 से 18 लोगों के खिलाफ कार्रवाई होने की चर्चा थी. लेकिन गुरुवार को मंत्री की घोषणा महज खानापूर्ति ही नजर आई. 

सरकार हत्यारों को बचा रही है : वाघमारे

स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे की पत्रकार परिषद निपटने बाद पूर्व विधायक चरण वाघमारे ने आरोप लगाया कि सरकार हत्यारों को बचा रही है. भाजपा की मांग है कि घटना के लिए जिम्मेदारों के खिलाफ सदोष मनुष्यवध का गुनाह दर्ज दायर होना  चाहिए. उन्हे खुले में नहीं छोडा जा सकता.

गुनाहगारों की हितैषी सरकार : फुके

विधान परिषद सदस्य डा. परिणय फुके मुंबई में मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने साबित कर दिया कि सरकार ने गुनाहगारों को बचाने के लिए इतने दिन जांच का स्वांग रचा. सरकार ने लोगों के गुस्से को शांत होने की राह देखी. जब उसे लगा कि अब लोग शांत हो चुके है. उसके बाद सरकार ने कारवाई का ढोंग रचा.

मासूमों की आत्माएं माफ नहीं करेंगी : मेंढे

सांसद सुनील मेंढे ने कहा कि घटनावाले दिन से दर्जनभर मंत्रियों ने भंडारा का दौरा किया. घड़ियाली आंसू बहाए. लेकिन अब सच सामने आ चुका है कि सरकार की मंशा दोषियों को बचाने की थी. मासूमों के आत्माएं कभी माफ नहीं करेंगी. 

पीड़ित माताओं के आंसूओं को अपमान : मदनकर

वर्ष 2018 में फायर आडिट के बारे में सूचना अधिकार के तहत विकास मदनकर ने इस विषय उठाया था. तबसे वे अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था बहाल करने के लिए कार्यरत है. विकास मदनकर ने कहा कि जिस दिन घटना हुई वह शनिवार का दिन सबसे मनहूस था. इसके बाद गुरुवार का भी मनहूस साबित हुआ है, जब सरकार ने पीड़ित माताओं के आंखों से निकले आंसूओं का अपमान किया है.

सरकार को कारवाई के लिए बाध्य करेंगे : कुंभलकर

भाजपा शहर अध्यक्ष संजय कुंभलकर ने कहा कि भंडारा जिलावासी हर स्थिति में न्याय हासिल करके रहेंगे. सरकार यह दोषियों को कितना भी बचाने की कोशिश करें. भाजपा पूरे जिले में आंदोलन फैलाएगी एवं कारवाई के लिए बाध्य करेगी. दोषियों को सलाकों के पीछे जाना ही होगी.

मुझे जानकारी नहीं मिली है : कदम

जिलाधिकारी संदीप कदम ने कहा कि अतिसंवेदनशील मामला है. जिससे इसकी कार्रवाई के संबंध में कोई जानकारी कार्यालय को प्राप्त नहीं हुई है, लेकिन सच्चाई यही है कि सूत्रों के अनुसार शाम में निलंबन के संबंध में फैक्स भी भंडारा पहुंचा. सीएस डा. प्रमोद खंडाते ने फोन पर बताया कि वे खुद जांच अधिकारी के समक्ष बयान दे रहे हैं. जिससे उन्हें कार्रवाई के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. स्वास्थ्य मंत्री टोपे को कई बार फोन पर संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.