भंडारा. खरीफ तथा रबी के अंतर्गत होने वाली फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए किसान फसलों पर कीटनाशक का धड़ल्ले से छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन कीटनाशकों के छिड़काव करके वे मधुमक्खियों का अस्तित्व कर रहे हैं. फसल पर लगे कीड़ों को समाप्त करने के लिए किसान जिन-जिन कीटनाशकों को उपयोग में लाते हैं, वे बहुत विषैले होते हैं, यह कीटनाशक जब मधुमक्खियों के शरीर पर पड़ते हैं तो इन मधुमक्खियां की जान चली जाती है.
पिछले एक दशक में भंडारा जिले में कई मधुमक्खियों की जान कीटनाशकों के कारण ही गई है. बगायती खेती करने में लिप्त किसानों को खेत के बांधों पर मधुमक्खियों का झुंड उड़ता हुआ दिखायी देता है. पिछले कुछ वर्षों से ये मधुमक्खियां बहुत ही घातक तथा उग्र कीटनाशकों का छिड़काव का शिकार हुई है.
किसानों के खेत की फसलों के फूलों की सहायता से बीजोत्पादन करने के लिए मधुमक्खियां तथा तिललियां मदद करती हैं. खेतों की फसल में आए फूलों पर बैठकर मधुमक्खियां तथा तितलियां की एक परागकोष के परागकण दूसरे परागकोष के परागकण पर छोड़कर बीजोत्पादन करने के लिए मदद होने के कारण इसी पराग के संयोग से बीज तैयार होने में मदद होती है और इसी कारण फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती है.
किसानों को उसकी फसल की वृद्धि में सहयोग करने वाली मधुमक्खियों के जीवन पर कीटनाशकों के माध्यम से प्रहार करने का सिलसिला लंबे समय से किया जा रहा है. इसी वजह से मधुमक्खियों की संख्या में लगातार कमी होती जा रही है.