शिक्षक के वाहन पर घूमता है बाल वाचनालय

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लाखनी (सं). कोरोना संकट के दौर में बच्चों के लिखना पढ़ना बंद होने की स्थिति आ गई है. इस पर उपाय के रूप में मांगली के एक शिक्षक ने अपने दो पहिया वाहन को ही बाल वाचनालय बना दिया है. उनके वाहन का हार्न जैसे ही बजता है गांव के बच्चे अपने घर से मॉस्क लगाकर पुस्तकें पढ़ने के लिए चलते- फिरते बाल वाचनालय में आ जाते हैं. कोरोना महामारी के मद्देनज़र स्कूलों पर ताले लगे हुए हैं. स्कूलों को दीपावली पर्व के बाद खोलने की बात कही जा रही है, लेकिन अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि स्कूलों पर लगे ताले कब खोले जाएंगे. सरकारी स्तर पर स्कूल भले ही बंद हों, पर ऑनलाइन पद्धति से पढ़ाई जारी है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के सभी विद्यार्थियों के पास एंड्राइट मोबाइल न होने के कारण इन विद्यार्थियों की पढ़ाई पूरी तरह से ठप पड़ गई है.

ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को पुस्तकों के माध्यम से पढ़ने का अवसर प्राप्त हो, इसके लिए लाखनी तहसील के मांगली के जिला परिषद् स्कूल में कार्यरत राज्य पुरस्कार प्राप्त उपक्रमशील  शिक्षक  पुरूषोत्तम झोडे ने अलग ही रास्ता निकाला और उन्होंने अपनी दुपहिया वाहन पर चलता फिरता बाल वाचनालय ही तैयार किया है. शिक्षक झोडे ने इस माध्य्म से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के पढ़ाई जारी रखी है.  शिक्षक झोडे ने इस उपक्रम की दखल जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी  अधिकारी भुवनेश्वरी एस., जिला शिक्षा तथा प्रशिक्षण संस्था के वरिष्ठ अधि व्याख्याता गुलाब राठौड़ ने ली है. विस्तार अधिकारी राघोर्ते, केंद्र प्रमुख वाढ़ीवे ने शिक्षक झोडे के घूमते- फिरते बाल वाचनालय की संकल्पना की मुक्त कंठ से सराहना की है.

शिक्षक झोडे को बहुत से शिक्षकों ने उन्हें शुभकामनाएं भी दी हैं. पूर्व अध्यक्ष खुशाल गिदमारे, सरपंच प्रशांत मासूरकर, उपसरपंच ज्ञानेश्वर रेहपाड़े, शाला व्यवस्थापन समिति के उपाध्यक्ष दीपक रहाटे समेत गांववासियों ने शिक्षक झोडे के उपक्रम को गांव के बच्चों के लिए एक बहुत ही अच्छा बताया है.