Deer Shavak

  • ग्रीन फ्रेंड्स के धनंजय का सराहनीय काम

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भंडारा (का). 5-6 हिरणों के एक समूह पर लाखनी तहसील में रेंगपार कोहली जंगल के तालाब के पास जंगली कुत्तों द्वारा हमला किया गया था. इसके कारण समूह इधर-उधर भागने लगा. इसमें एक मादा हिरण अपने बच्चे को सुरक्षित रखने की पुरजोर कोशिश कर रही थी. लेकिन वह आक्रामक कुत्तों से हार गई. तभी गांव के एक युवक ने इस दृश्य को देखा और कुत्तों के समूह को भगाया. और हिरण के शावक को बचा लिया. 2 घंटे के प्रयासों से ग्रीन फ्रेंड्स कार्यकर्ता धनंजय कापगते के प्रयासों से हिरण व शावक को मिलाया गया.

बताया जाता है कि झूंड से बिछड़ने के बाद शावक वापस लौटने के लिए हिरणों के झुंड की तलाश कर रहा था, लेकिन उनके लिए वापस लौटना संभव नहीं था क्योंकि कुत्तों ने कुछ दूरी तक उनका पीछा किया था. युवक ने हिरण के शावक को रेंगेपार कोहली के ग्रीन फ्रेंड्स कार्यकर्ता धनंजय कापगते जो ऐसे वन्यजीव, सर्प मित्र क्षेत्र में काम करता है, उनके पास ले गया. धनंजय ने ग्रीन फ्रेंड्स के आयोजक अशोक गायधने को फोन कर बताया. प्राध्या. गायधने ने धनंजय को सूचित किया कि उसे उस क्षेत्र को खोजना होगा जहां समूह रहेगा. लेकिन इस बात पर संदेह था कि हिरण को अंधेरे में कैसे खोजा जाए.

आखिरकार उन्होंने इलाके के वनपाल कावले की मदद से तालाब के पास अंधेरे में शावक को रखा.  शावक मां के शोक और भूख से बहुत शोर कर रहा था. 15 मिनट के बाद 5-6 हिरणों के एक झुंड ने भी शोर करना शुरू किया. धीरे-धीरे, शावक ने झुंड की दिशा में शोर करना शुरू कर दिया  और झुंड ने भी आगे बढ़ना शुरू कर दिया. चारों तरफ से अनुमान लेते हुए वह आगे आने लगे. धनंजय, उसका दोस्त व वनरक्षक कावले को आधे घंटे के प्रयास के बाद सफलता मिली एवं शावक अपने मां के पास पहुंच गया. ग्रीनफ्रेड्स नेचर क्लब की ओर से एक सुरक्षित शावक और उसकी मां को फिर से मिलाने के लिए तीनों को बधाई दी गई.