प्रतीकात्मक तस्वीर
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    • कायाकल्प के इंतजार में MIDC
    • जनप्रतिनिधियों से रोजगार मुहैया कराने की मांग

    भंडारा. भंडारा जिले के धारगांव जिला परिषद क्षेत्र के राजेगांव (गुंथारा) में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल, एमआईडीसी है और यहां वर्तमान में केवल दो या तीन कंपनियां हैं. जिन्हें बेहद आसानी से उंगलियों पर गिना जा सकता है और बाकी बंद पड़ी हैं. राजेगांव एमआईडीसी को काफी जमीन मिली थी. महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल को खाली पड़ी जमीन का इस्तेमाल नए उद्योग लाने और क्षेत्र के साथ-साथ जिले के बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने की जिम्मेदारी दी गयी थी. क्षेत्र के विकास एवं प्रगति के लिए इस जमीन पर उद्योगों की स्थापना करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है.

    धारगांव क्षेत्र और जिले के कई पढ़े-लिखे युवक-युवती रोजगार की तलाश में पुणे-मुंबई जा रहे हैं और बेहद कम वेतन पर काम कर रहे हैं. अतः जिले के शिक्षित बेरोजगार युवकों को रोजगार उपलब्ध कराने के क्रम में एमआईडीसी राजेगांव में उपलब्ध भूमि का पूर्ण सदुपयोग कर नए उद्योग लगाए जाने चाहिए, ताकि बेरोजगारों को रोजगार मिल सके और उपलब्ध जगह का उपयोग हो.

    राजेगांव एमआईडीसी में वर्तमान में हिंदुस्तान कम्पोजिट लिमिटेड के साथ-साथ कुछ छोटी कंपनियां भी हैं, जिनमें ज्यादातर जीर्ण-शीर्ण इमारतें हैं. नेशनल हाइवे 6 से सटा होने के कारण जीर्ण इमारतों का इस्तेमाल अनैतिक, शराब, गांजा पीने के लिए होता है. क्षेत्र के बेरोजगार युवकों ने मांग की है कि छोटे-बड़े कारोबारियों को खाली पड़ी इमारतों और जमीन का इस्तेमाल के लिए आमंत्रित किया जाए.

    एक तरफ देश में उद्योजकों को फैक्ट्रियां लगाने के लिए जगह नहीं मिलती. दूसरी ओर राजेगांव एमआईडीसी में बड़ी संख्या में खुले स्थान हैं और सरकार को इसका निपटान करना चाहिए. इसके लिए जनप्रतिनिधियों को आगे आना चाहिए.

    स्थानीय जनप्रतिनिधियों को एमआयडीसी की ओर ध्यान देना चाहिए. इस जगह पर फैक्ट्रियां लाने के लिए काम करना चाहिए. क्या राजेगांव एमआयडीसी का कायाकल्प होगा? यह सवाल बेरोजगार युवा कर रहे है.

    स्ट्रीट लाइट बंद

    एमआयडीसी परिसर में रात में स्ट्रीट लाइट बंद होने से कंपनी में आने-जाने वाले कर्मचारियों को बरसात के मौसम में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. भविष्य में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रात में स्ट्रीट लाइटें लगाने की आवश्यकता है. राजेगांव में एमआईडीसी होने के बावजूद राजेगांव और राजेगांव के पास के गांवों के युवाओं को रोजगार के लिए 20 किमी की दूरी पर स्थित भंडारा जाना पड़ता है. रोजगार का संकट दूर करने के लिए क्षेत्र के नागरिकों ने राजेगांव एमआईडीसी में छोटे-बड़े उद्योग लाने और स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोटी उपलब्ध कराने की मांग की है.