अच्छी वर्षा के कारण रोपाई में आई तेजी

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    • मजदूरी उच्च स्तर पर 
    • ज्यादा मजदूरी से बिगड़ेगा आर्थिक नियोजन 

    लाखनी. लाखनी तहसील परिसर में अच्छी वर्षा होने से धान की रोपाई ने गति पकड़ी है. तहसील में हुई अच्छी वर्षा के कारण यहां एक ओर किसानो के चेहरे पर आनंद की लहर दौड़ पड़ी है, तो दूसरी ओर परिसर में धान की रोपाई के काम ने गति पकड़ी है. धान रोपाई का काम इतना तेज हो गया है कि बहुत से किसानों को आसानी से मजदूर भी नहीं मिल रहे हैं.

    किसान मजदूरों को अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए बोली भी लगा रहे हैं. जो किसान  ज्यादा मजदूरी देने के लिए तैयार हैं, उनके लिए तो मजदूर मिलना कोई मुश्किल काम नहीं है, लेकिन जो किसान मजदूरों को ज्यादा मजदूरी देने के लिए तैयार नहीं हैं, उनके सामने इच्छित मजदूरी में मजदूर मिलना भी संभव नहीं हो पा रहा है.

    मजदूरों की ओर से ज्यादा  मजदूरी मांगने के कारण किसानों का आर्थिक नियोजन बिगड़ने के आसार बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं. किसानो को इस बात की चिंता खाए जा रही है कि उनका उत्पादन खर्च भी निकल पाएगा कि नहीं? वर्षा की बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे किसानों के चेहरे पर आनंद की लहर दौड़ पड़ी है. 

    परिसर में बड़े पैमाने पर धान की रोपाई की जा रही है. हर दिन अच्छी बरसात होने के कारण धान की रोपाई में बहुत तेजी आ गई है. धान की रोपाई के काम में तेजी आने के कारण खेत मजदूरों की मांग भी बहुत बढ़ गई है. खेत मजदूर इसका पूरा-पूरा लाभ उठा रहे हैं और जयादा मजदूरी मांम रहे हैं.

    जो किसान खेत मजदूरों को मुंह मांगी मजदूरी देने के लिए तैयार हैं, उनके लिए तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन जो किसान आर्थिक रूप से सबल नहीं हैं, उनके लिए मजदूरी की ओर से बढ़ायी गई मजदूरी बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आई है. मजदूरों को मुंह मांगी मजदूरी देने की होड़ भी किसानों में मची हुई है. बहुत से किसान तो मजदूरों को मुह मांगी मजदूरी देकर मजदूरों को अपने पक्ष में करने का एक भी मौका नहीं चूक रहे हैं. मजदूरों को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए किसान मजदूरी की बोली भी लगा रहे हैं. जो किसान ज्यादा मजदूरी देने में समर्थ है, उसकी तो बल्ले-बल्ले है और जो आर्थिक रुप से विपन्न है, उसे इसी बात की चिंता है कि उसके खेत में धान रोपाई का काम कैसे पूरा होगा.

    आज की स्थिति में लाखनी परिसर में पुरुष मजदूर के लिए मजदूरी 300-350 रुपए तो स्त्री मजदूर के लिए 200-250 रूपए मजदूरी रखी गई  है. कुछ समय पहले तर पुरूष मजदूर की मजदूरी 200-250 रूपए तथा स्त्री मजदूर की मजदूरी 120- 150 रूपए प्रतिदिन था.  लाखनी परिसर में धान की रोपाई  करने के लिए ठेका लिया जाता है.

    इस ठेके के तहत प्रति एकड़ किसान को 3000-3500 रूपए 3000 देने पड़ते हैं, इस वजह से एक एकड़ के लिए कीचड़, मजदूरी ,खाद तथा औषधि के लिए उपयोग में लाया जाने वाला खर्च 15-20 हजार रुपए के आसपास आता है, लेकिन पहले यह खर्च 10-15 हजार रूपए ही आता था, लेकिन अब जबकि बढ़ी हुई मजदूरी समेत अन्य खर्च बढ़ जाने की वजह से किसानों का आर्थिक संतुलन गडबड़ाने लगा है.  किसानों को प्रति एकड़ पांच हजार रुपये जयादा देने पड़ रहे हैं. किसानों को धान का उचित समर्थन मूल्य मिले,  ऐसी मांग किसानों की ओर से की जा रही है.  

    इस वर्ष समय पर वर्षा हुई तथा फसल से जुड़ा सभी काम समय पर हुआ, इस वजह से एक ही बार में बड़े किसानों ने धान की रोपाई का काम हाथ में लिया. बड़े पैमाने पर धान की रोपाई शुरू होने के कारण मध्यम तथा सामान्य किसानों को धान की रोपाई के लिए मजदूर मिलना ही मुस्किल हो रहा है.

    हर किसान यही चाहता है कि उसके खेत में धान की रोपाई का काम सबसे पहले हो, लेकिन हर किसान की यह चाहत पूरी नहीं हो पा रही है, ऐसे में धनान्य किसान ज्यादा मजदूरी देकर मजदूरों को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि ऐसा करने से किसानों का बजट बिगड़ने के पूरे-पूरे आसार हैं, लेकिन बड़े किसानों का यह मानना है कि पैदावर अगर अच्छी होगी तो उन्हें आज की आर्थि स्थिति से बाहर निकलने का मैका मिलेगा और उसने मजदूरी के रूप में जो ज्यादा धनराशि दी है, उसकी भरपाई पूरी हो जाएगी.