Teachers cannot be asked to report to school: Maharashtra Education Department

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     भंडारा. कोविड-19 संक्रामक रोग की दूसरी लहर जैसे ही कम होने की कगार पर पहुंच गई, सरकार ने हाईस्कूल एवं जूनियर कालेज शुरू करने की अनुमति दे दी. कक्षा 8वीं से 12वीं तक की कक्षाएं शुरू हो चुकी है. लेकिन निर्णय लेते समय आवश्यक बात को भूला दिया गया कि जो बच्चे होस्टल में रहते एवं स्कूल जाते हैं. सरकार को होस्टल के संबंध में निर्णय लेने की आवश्यकता थी.

    होस्टल शुरू नहीं होने की वजह से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं पढ़ाई से वंचित है. सरकार ने नहीं किया विचार गांव के बाहर पढ़ने वाले गरीब एवं आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने छात्रावास शुरू किए. सरकारी के अलावा निजी तौर पर अनुदान देकर छात्रावास शुरू किए गए. लेकिन कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद सरकार को होस्टल शुरू करने के बारे में भी निर्णय लेने की जरूरत थी.

    संभवत: सरकार भूल गयी कि हजारों की संख्या में बच्चे तभी स्कूल जा सकते हैं, जब छात्रावास शुरू किए जाएंगे. शिक्षा वंचित रखा : वासनिक छात्रावास शुरू नहीं किए जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूर्व समाज कल्याण अध्यक्ष रेखा चुन्नीलाल वासनिक ने मांग की है कि सरकारी एवं सब्सिडी वाले छात्रावासों को तुरंत शुरू किया जाना चाहिए क्योंकि पहले ही इन छात्रों का काफी नुकसान हो चुका है.

    कम से कम अब हालात सामान्य होने की वजह से उनके लिए छात्रावास खोल दिए जाने चाहिए. उन्हें शिक्षा से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए. 4000 छात्रों पर अन्याय अनुसूचित जाति/जनजाति के गरीब, नवोदित एवं बुद्धिमान छात्रों, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों एवं पिछड़े वर्गों के मेधावी छात्र छात्राओं को उन्नत शिक्षा मिले. उन्हें शैक्षणिक वातावरण में रहना संभव हो, इसके लिए सरकारी एवं निजी संस्थानों द्वारा सब्सिडी वाले होस्टल चलाए जाते हैं.

    भंडारा जिले में कुल 73 छात्रावास, अनुसूचित जाति के लिए 10, जनजाति के लिए 3 एवं निजी के लिए 60 छात्रावास संचालित हैं. इसकी निगरानी जिला परिषद के समाज कल्याण विभाग द्वारा की जाती है एवं इन छात्रावासों की कुल छात्र क्षमता लगभग 4,000 छात्रों की है. छात्रावास में छात्रों को चाय, नाश्ता, दिन में 2 भोजन, स्कूल यूनिफॉर्म, पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं.

    छात्रावास में गरीब परिवारों के कई पिछड़े वर्ग के छात्र कक्षा पांच से लेकर स्नातक (ग्रेजुएट) तक पढ़ रहे हैं. पूरे साल हुआ पढ़ाई का नुकसान शैक्षणिक सत्र 2020 के बाद से संक्रामक वायरस कोविड-19 के प्रकोप के कारण स्कूल एवं कॉलेज बंद हैं. आनलाइन शिक्षा की सुविधा गरीब छात्रों की क्षमता के बाहर में है. एंड्रायड मोबाइल सुविधा के अभाव में यह छात्र शैक्षणिक प्रवाह दूर चले गए हैं.

    कोरोना की दूसरी भयानक लहर थमने के साथ ही सरकार ने 15 जुलाई से ग्राम पंचायत एवं अभिभावकों की अनुमति से कक्षा 8वीं से 12वीं तक शुरू करने की अनुमति दे दी. भले ही सभी सरकारी, निजी सहायता प्राप्त एवं स्थायी बगैर अनुदानित स्कूलें शुरू की गयी है. लेकिन जो छात्र दूसरे गांव में छात्रावास में पढ़ाई करते हैं. वे अभी भी घर पर हैं क्योंकि छात्रावास शुरू नहीं हुए हैं. गरीब छात्रों की दुर्दशा को देखते हुए तत्काल छात्रावास शुरू करने की आवश्यकता है. —