Eichhornia, Wainganga

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भंडारा. शहर समीपस्थ वैनगंगा नदी को इकार्निया वनस्पति ने जगड़ लिया है. इस कारण नदीपात्र के जलचरों पर खतरा निर्माण हो गया है. यह समस्या हर वर्ष की है. बावजूद प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की ओर से उपाय नहीं जा रहे हैं. जिससे रोष निर्माण हो रहा है. भंडारा जिला व परिसर के वैभव में वैनगंगा का बड़ा हिस्सा है. नदीपात्र से अधिक प्रमाण में रेती उत्खनन होने के कारण कई लोग समृद्ध हुए है. अब नदी की सुंदरता को ग्रहण लगा है.

प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी नदी को इकार्निया वनस्पति ने पूरी से घेर लिया है. अब इस नदी में पानी की जगह संपूर्ण हरियाली दिखाई देती है. वनस्पति जहरयुक्त नहीं है, लेकिन इस वनस्पति के कारण नदीपात्र के जलचरों पर परिणाम हो रहा है. इसके अलावा जिस जगह पानी धीमी गति से बहता है या पानी का प्रवाह रूका है, ऐसे जगह यह वनस्पति बड़े पैमाने पर बढ़ी है. 

नदी का पानी हो रहा दूषित
गोसीखुर्द प्रकल्प के कारण वैनगंगा का पानी रोका गया. इसमें नाग नदी के दूषित पानी के कारण इस नदी का पानी दूषित हुआ है. इस कारण नदी किनारे के गांवों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ रहा है. भविष्य में मनुष्य स्वास्थ्य को खतरा निर्माण होने की संभावना है. प्रशासन और जनप्रतिनिधि एक-दूसरे पर अंगूली दिखाकर जिम्मेदारी झटकने का काम कर रहे हैं. नदीपात्र को वनस्पति से घिरने से नष्ट करने के लिए प्रशासन, जनप्रतिनिधि तथा आम नागरिकों को भी आगे आने की जरूरत है.