City land, busy land, dreamland started, textile traders asked for permission
प्रतीकात्मक तस्वीर

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तुमसर. वर्तमान में जारी लॉकडाउन की वजह से शहरी क्षेत्र के कई मध्यम परिवार दो जून की रोटी के लिए परेशान हैं. विशेष तौर पर रोजमर्रा मजदूरी करने वाले परिवारों के लिए लॉकडाउन संकट की घड़ी बन कर आया है. वहीं अब मध्यम वर्गीय परिवारो में भी आर्थिक संकट गहराने लगा है. उक्त वर्ग की ओर किसी का ध्यान नहीं होने से परेशानी और बढ़ती जा रही है.

सभी कर रहे गरीबों की मदद
शहर के अनेक राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों द्वारा गगरीब परिवारों को भोजन व राहत सामग्री मुहैया करवाई गई.  देश में अच्छी स्थिति हो, खराब हो अथवा सामान्य हो हमेशा मध्यम वर्गीय परिवार  संघर्ष करते हुए नजर आता है. फिर भी सरकार  द्वारा उनके लिए कोई भी विशेष योजना अथवा उनकी ओर ध्यान नहीं दिया जाता है.

मध्यमवर्गीय परिवार को  अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ाना, अच्छा खाना खिलाना, अपना स्टेटस मेंटेन कर कई प्रकार के टैक्स सरकार को देने पड़ते हैं. हर स्थिति में इनके खर्चे लगे रहते हैं. जिसके चलते गत 2 माह से कमाई का जरिया खत्म हो जाने से खर्च वहीं के वहीं है. स्थिति ऐसी है कि किसी को कुछ बोल भी नहीं सकते कि उन्हें जरूरत है. ऐसे लोगों के लिए सरकार की तरफ से हेल्पलाइन नंबर जारी किए जाने चाहिए एवं इनकी जानकारी गुप्त रखते हुए यथासंभव मदत करनी चाहिए.

पिसता है मध्यमवर्गीय
जो लोग नौकरी पेशा हैं, उनको वेतन मिल जाएगा. लेकिन जो लोग अपनी दूकान, दफ्तर या छोटा व्यापार बन्द कर घर में बैठे हैं, उनका घर कैसे चलेगा, क्या उनको भी मदद नहीं मिलनी चाहिये.  प्रत्येक आपदा में अमीर वर्ग खुद खा लेता है. एवं गरीब को सरकार खिला देती है. लेकिन प्रत्येक आपदा में मध्यमवर्गीय ही पिसते रहता है.