Dhaan Tulai
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मोहाड़ी. जिले के अधिकांश धान खरीदी केंद्र में धान संग्रहण, तौलाई को लेकर हो रहे बर्ताव से किसानों में नाराजगी है. प्रशासन की ओर से जारी दिशा निर्देशों का जरा भी पालन होते नहीं दिखाई दे रहा है. किसानों का आरोप है कि खरीदी केंद्र में चल रहे गोलमाल की जानकारी पणन विभाग को है, लेकिन इसे नजरअंदाज किया जा रहा है. वहीं खरीदी केंद्र में धान बेचने आने वाले किसानों के साथ धोखा नहीं होने का दावा जिला पणन विभाग कर रहा है.

वजन में बड़ा अंतर

मोहाड़ी तहसील के ताड़गांव में किसानों की शिकायत है कि खरीदी और बिक्री सहकारी समिति के चलाए जा रहे केंद्र में किसानों द्वारा रखी गई जगह से धान के बोरियों को वजन कांटे तक ले जाने के लिए प्रति बोरी 10 रुपये हमाली देना पड़ रहा है. इसके अलावा मोजमाप के लिए प्रति बैग 8 रुपये का शुल्क लिया जा रहा है. कुछ दिन पहले जब किसान मूलचंद शेंडे और गजानन नागलवाडे किसान जब ताड़गांव से धान खरीदी केंद्र में पहुंचे तो धान की तौलाई शुरू थी. इन किसानों को संदेह था कि तराजू में गड़बड़ है. जब उन्होंने केंद्र में नापी गई बोरी को अन्य स्थान पर ले जाकर वजन किया तो 3 किलो का अंतर पाया गया.

काटे में गड़बड़ी

किसानों का आरोप है कि धान खरीदी केंद्र में वजन कांटे में सेटिंग कर किसानों को लूटा जा रहा है. इसकी जानकारी तुरंत जिला विपणन अधिकारी और धान केंद्र संचालक को दी गई. बावजूद कोई सुधार नहीं देखने को मिल रहा है. उल्टे जिला विपणन अधिकारी ने किसानों को लिखित शिकायत दर्ज करने के लिए कहा है. इस पर किसानों ने तुरंत लिखित शिकायत दर्ज कराई, लेकिन धान खरीदी केंद्र की अभी तक जांच नहीं की गई है. 

हर साल आरोप लगते रहे है कि व्यापारी किसानों से कौड़ियों में धान खरीदी लेते हैं. बाद में व्यापारी किसी किसान का सातबारा जोड़कर धान खरीदी केंद्र में धान बेचते है. इससे किसानों को बोनस की राशि से वंचित रहने की नौबत आती है. किसानों में हुई जागृति की वजह से पिछले साल धान केंद्र देर से शुरू थे. जिससे किसानों को न चाहते हुए भी व्यापारियों को धान बेचना पड़ा था. भंडारा जिले में पिछले साल अनाज की आवश्यक मात्रा का उत्पादन नहीं किया था. व्यापारियों ने मध्य प्रदेश से 1600 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से थोक धान खरीदा और इस महाराष्ट्र में लाकर धान खरीदी केंद्र पर बेच दिया.

व्यापारी ब्याज से देते हैं राशि

किसानों ने बताया कि कई बार व्यापारी को माल देने के अलावा उनके पास में कोई चारा नहीं होता. किसान के लिए व्यापारी पैसे देते हैं, बदले में सातबारा, बैंक पास बुक एवं आधार पर भी ले लेते हैं. जिससे बोनस की रकम भी व्यापारियों को ही देनी पड़ती है. चूंकि धान की खरीदी ऑनलाइन है, इसलिए यह सरकार पर निर्भर है. हर दिन कितना अनाज ख़रीदा जाता है, इसका रिकार्ड पणन विभाग के पास में रहता है. जिससे धान खरीदी पर नियंत्रण एवं सुचारू रूप से संचालन संभव है, लेकिन पणन विभाग द्वारा आवश्यक ध्यान नहीं दिया जाता है. केंद्र संचालक प्रति 1 क्विंटल धान का 5 किलो अतिरिक्त लेते हैं. बाद में संचालक काटा वजन में गिरावट का रोना रो कर सरकार से भी भरपाई करवाते हैं.