बाढ़ प्रभावितों को लगी फिर से जीवन को पटरी पर लाने की फिक्र

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भंडारा (का). बाढ़ में जिन लोगों का घर पूरी तरह से उजड़ गया था, वे अपना जीवन फिर से पटरी पर लाने की फिक्र करने लगे हैं. प्रकृति के कोप के सामने बेबस हुए लोगों के पास न तो घर बचा है और न ही जीवन जीने के लिए आवश्यक वस्तुएं ही शेष बची हैं. जिले में वैनगंगा नदी में आई बाढ़ के कारण नदी तट पर स्थित गांव के लोगों  के घर पानी में डूब गए.

29 अगस्त की रात को आई बाढ़ इन गांव के लोगों के लिए किसी काल के कम नहीं थी. इस बाढ़ ने गांव में रहने वाले लोगों ने जो कुछ भी जीवन में प्राप्त किया था, वह सब कुछ खो दिया. बाढ़ में हजारों घर घ्वस्त हो गए, तो कुछ परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने परिजनों को भी खो दिया है.

बाढ़ में हुए नुकसान की भरपाई की मांग के लिए सरकार से गुहार लगाने के बाद अब बाढ़ प्रभावितों ने अपने जीवन को पटरी पर लाने के प्रयास शुरु कर दिए हैं. बाढ़ प्रभावितों ने कुछ दिन आसपास के मंदिर में व्यतीत किए तो कुछ दिन इन लोगों ने खुली जगह पर प्लास्टिक का आशियाना बनाकर गुजारे.

ताडपत्र से बने छत को पकड़ कर कई दिनों तक बाढ़ प्रभावितों ने बड़ी ही परेशानियों में दिन गुजारे हैं, अब धीरे-घीरे ये लोग अपने जीवन को पटरी में लाने का प्रयास कर रहे हैं. जीवन को पटरी पर लाने के बाद एक बार फिर इन लोगों का जीवन पहले की तरह व्यतीत होगा कि नहीं, यह तो आने वाला समय बताएगा. हाथ से गया काम फिर मिलेगा या नहीं, इसके बारे में इन लोगों कुछ पता तो नहीं है, लेकिन इन्हें अपने हाथ पर पूरा भरोसा है कि उनका जीवन एक बार पहली की तरह ही व्यतीत होने लगेगा.