Distribution of about five lakh forest rights papers in Chhattisgarh
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भंडारा (का). कोरोना महामारी के प्रादुर्भाव को रोकने के लिए चार माह से देश में तालाबंदी जारी है. तालाबंदी को तनिक शिथिलता देने के बाद से लोग अपने जरूरी काम के निमित्त घर से बाहर निकलने लगे हैं. लेकिन हाथ में काम न होने की वजह से जंगल के निकट गांव में रहने वाले लोगों ने कृषि करना शुरू किया. गामीण क्षेत्रों में खेती करते समय जंगल रहते हैं. वन क्षेत्र से जुड़े लोगों की जिम्मेदारी यह है, वे गांव की सुरक्षा करें.

भंडारे जिले में भारी पैमाने पर अकूत धन संपत्ति है. अनेक वन प्राणी गांव तथा खेतखिलहान में आते- जाता रहते हैं. जंगल में हिरन, जंगली सुअर, खरगोश, नीलगांव जैसे प्राणियों का बसेरा है. कभी- कभी ये जंगली पशु रहिवासी क्षेत्र में आ जाता हैं. किसी शहरी इलाके में जंगल पशुओं के प्रवेश होने से शहरी क्षेत्र की जनता तथा जंगली पशुओं दोनों की सुरक्षा का खतरा उत्पन्न हो गया है.

वन प्राणियों का शिकार करने वाले हर दिन नई-नई तकनीक का उपयोग में ला रहे हैं, जिससे वन प्राणियों की संख्या में लगातार कमी होती जा रही है. वन विभाग पशुओं की लगातार कम होती संख्या बहुत परेशान है और उसने अपनी नज़र जंगल से सटे हर गांव की ओर रखनी शुरु कर दी है.