भंडारा (का). कोरोना विषाणु के फैलाव को रोकने के लिए पुलिस के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले कोतवाल की समस्याओं की ओर न तो सरकार और नही प्रशासन का ध्यान नहीं है. कोतवाल भी पुलिस के साथ मिलकर काम कर रहे है तो उनकी समस्याओं की ओर भी सरकार तथा प्रशासन का ध्यान होना चाहिए, लेकिन वैसा नहीं होने से कोतवाल नाराज़ बताए जा रहे हैं.
ग्रामीण स्तर पर काम करने वाले कोतवाल को सरकार की ओर से घोषित की गई बीमा योजना का भी लाभ नहीं मिला है. बीमा कंपनी की ओर से सहयोग न करने के कारण कोतवाल बीमा का लाभ पाने स वंचित रह गए हैं.
कोरोना के संकट काल में अपने कर्तव्य का पालन करते समय कोतवाल को बहुत ही जोखिम का सामना करना पड़ा है, ऐसी परिस्थिति में कोतवाल को बीमा संरक्षण मिलना चाहिए, ऐसी संगठन की ओर से मांग की जा रही है.
गांव में दूसरी जगह से आए लोगों की जांच- पड़ताल करना, होम क्वांरटाइन की प्रक्रिया करने जैसी की जाती है. इसके लिए गांव में पटवारी, पुलिस, पुलिस पाटिल, आशा वर्कर, कोतवाल अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. इनमें से अधिकांश कर्मचारियों को सरकार की ओर से स्वीकृत किए गए बीमा का संरक्षण नहीं दिया जा रहा है. इनके लिए प्रोत्साहन भत्ते की घोषणा तो की गई है, लेकिन हाथ अभी तक कुछ भी नहीं आया है.