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भंडारा (का). जिले में पिछले दिनों आई बाढ के कारण ईंट भट्टी वालों को भारी नुकसान पहुंचा है. जिले में स्थित ईंट भट्टियों पर बहुत से परिवारों की जीविका निर्भर है, लेकिन बाढ़ के कारण इन ईंट भट्टियों पर कहर बरपा है.

ईंट का व्यवसाय दीपावली पर्व खत्म होने के बाद शुरु होता है. दिसंबर माह से ईंटों का निर्माण होना शुरु हो जाता है. ईंट मालिकों की ओर से ईंट बनाने वाले मजदूरों की तलाश करते रेत, मिट्टी तथा सूखी लकड़ी या धान का भूसा, ये सभी सामग्री लेकर बड़ी परिश्रम से ईंट तैयार की जाती है. कच्ची ईंट तैयार करते समय बरसात हुई तो ईंट को भारी क्षति पहुंचती है.

यह व्यवसाय दिसंबर से मई माह तक चलता है.  इन छह माह में ईंट बनाने वाले मजदूरों को मुंहमांगी रकम दी जाती है. बहुत से ठेकेदार तो मजदूरों को अग्रिम रकम भी देने के लिए तैयार रहते हैं. ईंट व्यवसाय से जुड़े लोगों को ईंट के निर्माण में बहुत खर्च करना पड़ता है. इसके अलावा घरों का निर्माण  करने वालों या अन्य ठेकेदारों  को ईंट उधार में देनी पड़ती है.

कभी-कभी दो-दो वर्ष घरों का निर्माण करने वालों को उधार लिए गए ईंटों के पैसे भी नहीं मिलते, जिसका नुकसान ईंट व्यवसायी को उठाना पड़ता है. इस वर्ष ईंट व्यवसायियों को लगातार वर्षा की मार तथा बाढ़ जैसे संकट आए हैं और कोरोना महामारी के कारण गृह निर्माण कार्य बंद होने से इस क्षेत्र के जुड़े मजदूरों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है.