Former MLA Waghmare

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भंडारा. राज्य में आघाड़ी सरकार ने बेरोगजारों को काम दिलाने के लिए जो व्यवस्था आरंभ की थी. उसको खत्म कर बेरोजगारों पर अन्याय करने का आरोप पूर्व विधायक चरण वाघमारे ने लगाया. शरद पवार, अजीत पवार व उद्धव ठाकरे द्वारा भाजपा सरकार कार्यकाल में किसानों के लिए जिस रकम में मुआवजा मांगा था.

अब जब यह तीनों सत्ता में हैं, प्राकृतिक आपदा के प्रभावित किसानों को अपनी पूर्व मांग के अनुसार मदद देने की मांग वाघमारे ने की. इसके अलावा उन्होंने कहा कि कोरोना मरीजों को दिए जा रहे मनमाने रकम बिल का मुद्दा उठाते हुए वाघमारे ने जिले के सभी निजी अस्पतालों की सूची, उन्हें बाध्यकारी नियम व दिशा निर्देशों की सूची व अस्पताल निहाय आडीटर की सूची की जाए.

पूर्व विधायक वाघमारे ने स्थानीय विश्राम गृह में संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कहा कि सत्ताधारी नेता जिले में धान खरीदी केंद्र आवंटन में अपने नज़दीकी कार्यकर्ताओं को मौका सुनिश्चित करने शेष बेरोजगारों पर अन्याय कर रहे हैं. आघाड़ी सरकार ने अपने कार्यकाल में बेरोजगारों को काम दिलाने के लिए सुशिक्षित बेरोजगार सह. संस्था पंजीयन शुरू किया था.

भाजपा सरकार में इन संस्थाओं को बगैर किसी अन्याय से काम मिला, लेकिन इस बार खरीदी केंद्र के लिए सैकड़ों की संख्या में आवेदन आए. इसमें 90 प्रश आवेदन सत्ताधारी कार्यकर्ताओं के है, लेकिन प्रबल सत्ताधारी अपने नज़दीकी कार्यकर्ताओं काम दिलाना चाहते हैं. इसलिए पणन अधिकारियों पर दबाव डालकर कड़ी शर्तें लगाई है. 

अपनी ही मागों को पूरा करने का मौका

वाघमारे ने कहा कि जब भाजपा सरकार के कार्यकाल में किसानों को प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा था. उद्धव ठाकरे ने 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा मांगा था. शरद पवार की मांग 20,000 रुपये की थी. जबकि अजीत पवार ने 20,000 करोड़ के पैकेज पर संदेह जताया था. आंधी तूफान एवं रोगों की प्रकोप से फसलों का भारी नुकसान हुआ है. ठाकरे व पवार चाचा भतीजे के सामने अपनी ही पुरानी मांग को पूरा करने का मौका है. पहले कहा था, उसे इन तीनों को हकीकत में उतारना चाहिए.

अस्पताल निहाज आडीटरों की सची जारी करें

अस्पतालों द्वारा कोरोना मरीजों को मनमानी राशि के बिल दिए जाने के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि लोग निजी स्वास्थ्य सेवाओं को संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं. प्रशासन की ज़िम्मेदारी है कि वह सभी संदेहों को दूर करें. सरकार ने जिन नियम व शर्तों के आधार पर निजी अस्पतालों को कोरोना उपचार के लिए इजाज़त दी. अस्पतालों द्वारा दिए जाने बिलों का परीक्षण करने अस्पताल निहाय आडीटरों की सूची जारी करने की मांग भी की है.