Stalker will search for people in contact, exercise to stop corona
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भंडारा. 3 दिवसीय जनता कर्फ्यू में नगर परिषद व पुलिस विभाग की मुस्तैदी दिखाई दी. वहीं लोगों की बेफिक्री व लापरवाही भी दिखाई दी. शनिवार व रविवार को बैंक, सरकारी दफ्तर से लेकर सब कुछ बंद था. बावजूद सड़क पर घुमने वालों की संख्या में कोई कमी नहीं दी. लोगों को अपने इस गैरजिम्मेदाराना बर्ताब पर शर्म करते हुए आत्मचिंतन करना चाहिए.

समझाइश देते थक गए कोरोना वारियर्स
जनता कर्फ्यू का सफल बनाने चिलचिलाती धूप में हर चौराहे पर पुलिस व नप की टीम सुबह से मुस्तैद होकर पूरे दिन खड़ी रही. बगैर मास्क पहने राहगीर, मोटरसाइकिल चालक, फिजूल में घुमने निकले, चौराहों पर चौकड़ी जमाकर बैठे लोगों का घर लौटाने में ही कोरोना वारियर्स की ऊर्जा खर्च हो गई. सरकारी नौकर होने की वजह से बेचारे कोरोना वारियर्स अपनी परेशानी बता तो नहीं सकते. किंतु उनके चेहरे के भाव बताने के लिए काफी है कि उनके दिल पर क्या बीत रही है.

“कर्फ्यू” और “जनता कर्फ्यू” का अंतर समझे
आम तौर पर कानून व सुव्यवस्था बिगड़ने पर माहौल को शांत करने “कर्फ्यू” लगाया जाता है. इस कर्फ्यू का कड़ाई से पालन करवाने की जिम्मेदारी निश्चित रूप से प्रशासन एवं पुलिस की होती है, लेकिन “जनता कर्फ्यू”, नाम से ही स्वयं स्पष्ट है कि जनता द्वारा की उनकी सहमति से स्वयं के सामाजिक बर्ताव पर डाली गई पाबंदी है, जिसमें उसे घर में रहना है, बेवजह बाहर नहीं निकलना है. इसमें कहीं पर भी प्रशासन व पुलिस की जिम्मेदारी नहीं बनती की वह “जनता कर्फ्यू” को सफल बनाने अपना पसीना बहाए. लेकिन उल्टा हो रहा है. जनता मजे में है, उसे कोरोना से कोई डर नहीं लगता. उल्टे कोराना वारियर्स को लापरवाहों को मास्क पहनने का उपदेश देने के लिए कोरोना संक्रमण के खतरे का सामना करना पड़ता है.

कड़ी कार्रवाई की जरूरत
जनता कर्फ्यू में लोगों की गैर जिम्मेदाराना बर्ताव को देखने के बाद लगता है कि प्रशासन को अब जनता कर्फ्यू से परहेज करना चाहिए. मार्केट खोल देना चाहिए. कड़ी पाबंदियां लगानी होगी. इसमें जो भी गलती करते पाया जाएगा. उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है.

वोटबैंक की राजनीति छोड़ने का समय
वोटबैंक की राजनीति ने जनता कर्फ्यू को नहीं छोड़ा है. नप में ही जनता कर्फ्यू को लेकर दो मत है. यही कारण है कि जनता कर्फ्यू के दौरान कुछ इलाके में लोग जानबूझकर सड़क पर घुम रहे है. मास्क नहीं पहनने की मानो कसम खा चुके हैं. सोमवार से शहर की जनजीवन सामान्य रूप से बहाल हो गया है. इस मानसिकता में की जैसे कोरोना से मुक्ति मिल गयी है. दूकानदार सड़क पर दूकानें फैलाकर रखे थे. सड़कों पर भीड़, दूकानों में भीड़, मास्क, सैनिटाइजर के बगैर ग्राहकी ने 3 दिन के जनता कर्फ्यू पर पानी फेर दिया.