गोबरवाही. कृषि विभाग की ओर से बड़े जोर-शोर से दावा किया गया था कि किसानों के खेत तक रासायनिक खाद पहुंचाया जाएगा, किंतु वस्तुस्थिति इसके विपरीत है. गोबरवाही, नाकाडोंगरी, डोंगरी बुज., गर्रा बघेडा, क्षेत्र के सहकारी संस्थाओं व निजी कृषि केंद्रों से संपर्क करने पर पता चला कि पिछले वर्ष से इस वर्ष खरीफ मौसम में सिर्फ 50 प्रश रासायनिक खाद आया है. जिससे यूरिया की कमी हो गयी है. किसान खाद के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं.
धान पर करपा रोग का आक्रमण
धान की फसल पर पर्न करपा नामक रोग का आक्रमण हुआ है. रोग में फसल पिली पड़ जाती है. कृषि अधिकारियों का कहना है कि इस रोग के इलाज के लिए कीटनाशक की आवश्यकता नहीं है. रोग के रोगथाम के लिए धान फसल पर यूरिया का छिड़काव करना आवश्यक है. यूरिया ना तो सरकारी सेवा सोसाइटी में है न तो कृषि केंद्रों में उपलब्ध है. जिससे किसान परेशान है. वस्तुस्थिति यह है कि जो भी रासायनिक खाद या यूरिया आता है उसकी अधिकांश कालाबाजारी होती हैं. क्षेत्र मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले की सीमा पर होने के कारण अधिकांश यूरिया की तस्करी मध्यप्रदेश को हो जाती है.
फसल नष्ट होने की कगार : गाढवे
किसान नेता व पंस सदस्य बालकृष्ण गाढवे ने कहां है कि यूरिया के अभाव में बीमारी से धान फसल नष्ट होने की कगार पर है. किसानों का भारी नुकसान होगा. हर वर्ष सरकार कितना भी दावा कर ले यूरिया की किल्लत पैदा कर दी जाती ही है. जिस प्रकार राशन कार्ड बनाया जाता है. उसी प्रकार हर दूकान को रासायनिक खाद मिलने के लिए विशेष कार्ड मिलना चाहिए.