Lohar
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  • कोरोना महामारी के कारण कई परिवार के हाथ से रोजगार गया

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चिंचाल (सं). किसी दौर में राजाश्रय प्राप्त लोहार समाज की कोरोना महामारी के कारण बड़ी विकट स्थिति हो गई है. कोरोना काल में हाथ से काम चले जाने के कारण आर्थिक स्थिति से विपन्न हुए लोहार समाज की ओर सरकार की कृपा दृष्टि नहीं रही. सरकार की ओर से इस समाज की उपेक्षा किए जाने से लोहार समाज पूरी तरह से टूट गया है.

भंडारा जिले में लोहार समाज के लोग वृक्षों की छाया या किसी तालाब के पास दुकान लगाकर काम करते हैं. छोटे से घर में या गांव की  झोपड़ी में लोहे की वस्तुएं बनाकर अपना उदर निर्वाह करने वाले लोहार समाज के लोग शहरी तथा ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में रहते हैं. सरकार ने लोहार समाज को एन टी (ब) समाज प्रवर्ग में शामिल करने का प्रलोभन देकर उन पर अन्याय किया है, ऐसी शिकायत लोहार समाज की ओर से की गई है. किसानों को कृषि कार्य में लगने वाली सामज्ञी बनाने वाले लोहार समाज इन दिनों बहुत ही दयनीय स्थिति में जीवन यापन कर रहे हैं.

देश में जब राजतांत्रिक व्यवस्था थी, उस वक्त युद्ध के हथियार बनाने वाले कारीगरों में मुख्य कारीगर लोहार समाज का ही होता था. युद्ध के हथियार बनाने में सबसे अहम भूमिका होने के कारण इस समाज को राजाश्रय प्रदान किया गया था. वर्तमान में युद्ध के हथियारों के निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक को उपयोग में लाया जा रहा है.

नई तकनीक के कारण अच्छी क्वालिटी के हथियार कम खर्च में प्राप्त होने की वजह से लोहार समाज के हाथ का काम दिनोंदिन कम होता जा रहा है, इस वजह से लोहार समाज को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. भटके-विमुक्त तथा विशेष पिछड़े प्रवर्ग के एनटी (ब) वर्ग में आरक्षण प्राप्त है, लेकिन अभी तक इस समाज को उपेक्षा ही सहन करनी पड़ी है.