Mirchi

  • सभी वस्तुओं के दामों में तेजी

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भंडारा (का). इस बार की फसल में लॉकडाउन के कारण बहुत असर पड़ा है. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार लगभग सभी वस्तुओं के दामों में तेजी आ रही है. दर्जे के आधार पर मिर्ची के भाव थोक में 120 से 180 रुपए प्रति किलो तथा चिल्लर में 180 से 200 रुपए प्रति किलो भाव से बेची जा रही है.

विदर्भ में है विशेष महत्व
विदर्भ क्षेत्र में दैनिक आहार में मिर्च का विशेष महत्व है. मिर्च के बगैर दाल तथा सब्जी में स्वाद नहीं आता. भोजन को स्वादष्टि बनाने के लिए जिस तरह से नमक का महत्व है, उसी तरह खाने में मिर्च का विशेष महत्व है. किसी को भी बगैर मिर्च के भोजन अच्छा ही नहीं लगता.

तीखी होना जरूरी
लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर लोगों ने पैकेट बंद मिर्च का ही अधिक उपयोग किया, लेकिन इस मिर्च में वह बात नहीं जो लाल मिर्च में है. बस स्वाद ही तो है, जिससे मिर्च के महत्व को कभी कम नहीं होने दिया जाता. मिर्च अगर तीखी ना हो तो खाने वाला बड़ा निराश होता है.

ढोबली के खरीदार कम
ढोबली मिर्च बहुत ज्यादा तीखी नहीं मानी जाती है. इसलिए इसके खरीदार बहुत ज्यादा नहीं है. विदर्भ क्षेत्र में तीखी लाल मिर्च खाने के शौकीन लोग हैं, इसलिए यहां पर लाल मिर्च का बहुत महत्व होता है. कुछ लोग मिर्ची के इतने शौकीन है कि वे वर्ष भर का स्टॉक ही रखते हैं, ताकि जब इच्छा हो अच्छी मिर्ची का स्वाद ले सकें. मिर्ची का भाव बढ़ने से लोगों को इस बार मिर्ची खरीदना महंगा सौदा जान पड़ रहा है. कुछ लोग तीखी तथा कम तीखी दोनों मिर्च को मिलाकर खाने के भी शौकीन हैं, यह लोग दोनों मिर्च घर में रखना पसंद करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के कारण उत्पन्न हुई स्थिति के कारण लाल मिर्च के तीखेपन की तरह इसके भाव भी काफी भड़के हुए हैं, इसीलिए मिर्ची इन दिनों जनसामान्य लोगों की पहुंच से दूर बतायी जा रही है.