भंडारा (का). कोरोना महामारी का आरंभ चीन से हुआ. लेकिन देखते देखते यह बीमारी ऐसी हो गई कि इसका भय हर घर के लोगों को सताने लगा. 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के माध्यम से कोरोना को मात देने के प्रधानंमत्री के संकल्प को भंडारावासियों ने भी माना. जनता कर्फ्यू के बाद 25 मार्च से शुरू हुआ लॉकडाऊन कई चरणों तथा स्वरूप में अब तक जारी है.
इस तरह देखा जाए तो 12 अगस्त को लॉकडाउन के 140 दिन पूरे हो होंगे. इन 140 दिनों में शहर कुछेक अवसरों को छोड़कर शेष मौके पर शहर में शांति का महौल रहा है. बिजली के बहुत ज्यादा बिल तथा दूध के भाव को लेकर भाजपा के आंदोलन को छोड़कर 140 दिनों की कालावधि में कोई अन्य बड़ा आंदोलन नहीं हुआ.
भंडारा जिला राज्य के इन जिलों में शुमार है, जहां कोरोना के मरीजों का मिलना बहुत देर से शुरु हुआ. कोरोना के कहर से बचने के लिए लॉकडाउन के कारण भंडारा जिले पर इस महामारी का की बहुत ज्यादा असर तो नहीं पड़ा, लेकिन इस महामारी के कारण कई लोगों के हाथ से काम चला गया, लोगों का व्यवसाय हाथ से चला गया. लोगों के समक्ष भुखमरी का संकट उत्पन्न हो गया. उदर निर्वाह न होने की स्थिति में भी राज्य के अन्य हिस्सों की तरह ही भंडारा के लोगों भी जिला प्रशासन का भरपूर साथ दिया.
हर वर्ष सरकारी कार्यालयों के सामने किसी न किसी मुद्दे को लेकर विभिन्न संगठनों की ओर से आंदोलन किया जाता रहा है, लेकिन इस बार कोरोना ने इस पर भी ब्रेक लगा दिया है. कार्यालयों में नहीं के बराबर कर्मचारी, बस यातायात पर विराम, व्यापारिक प्रतिष्ठान सभी कुछ बंद ऐसे में आंदोलन, धरना, बंद प्रदर्शन करने वालों की बात सुनेगा कौन, इस बात को ध्यान में रखते हुए कोरोना का संकट पूरी तरह से टल जाने के बाद ही धरना, प्रदर्शन न करने का निर्णय लिया और इसीलिए भाजपा को छोड़कर किसी ने भी आंदोलन, धरना- प्रदर्शन न करने का निर्णय लिया. कोरोना का कहर टालने के लिए भी अधिकांश लोगों ने घर पर ही रहने का मन बनाया और विपरीत का परिस्थिति का सामना करना ही ज्यादा बेहतर समझा.