Tiger seen on highway, terror among Goregaon farmers
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भंडारा (का). मध्य भारत के विख्यात व्याघ्र प्रकल्प के रूप में स्थान प्राप्त करने वाले नवेगांव-नागजीरा में शेरों की संख्या पिछले कई वर्षों से ज्यों की त्यों बनी हुई थी. इस प्रकल्प के बारे में यह कहा जाता है कि यहां आने वाले वाघ ज्यादा दिनों तक नहीं रहते, इसलिए यहां रहने वाले शेरों की संख्या बहुत कम रह गई थी. कहा जा रहा है कि यहां पर शेरों के जीवित रहने के लगने वाले सामग्रियों की कमी थी. अब इस दृष्टि से प्रयास शुरु कर दिए गए हैं कि शेरों को आहार की कभी कमी न पड़े.

देश के शेरों की संख्या कितनी है, इसकी रिपोर्ट कुछ दिनों पहले ही जारी की गई है. देश में वर्तमान में 2967 शेर हैं, जबकि राज्य में शेर की संख्या 312 है. इन 312 शेरों में से 83 अकेले ताडोबा में 83 शेर हैं. नवेगांव-नागजीरा व्याघ्र प्रकल्प में सिर्फ 6-7 शेर ही हैं. प्रकल्प मंं शेरों की मौजूदा संख्या को सबसे कम बताया जा रहा है. इलीलिए वन विभाग तथा सरकार दोनों की ओर से यह प्रयास किया जा रहा है कि प्रकल्प में वर्तमान में जितने शेर हैं, उनमें किसी भी तरह की कमी न आए.

शेरों के आहार, स्वास्थ्य तथा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर गंभीरता से सोचा जाना जरूरी है. व्याघ्र प्रकल्प में तृणभक्षी प्राणियों की संख्या बढ़ी तभी शेरों की संख्या भी बढ़ेगी. ताडोबा का बफर क्षेत्र बड़ा है, उसकी तुलना में नवेगांव- नागजीरा में बांस कम, सागौन के वृक्ष ज्यादा हैं. इस प्रकल्प के परिसर में 185 गांव आते हैं.

इन सभी गांवों में रहने वाले लोगों की संख्या लगभग ढ़ाई लाख है. इस प्रकल्प में रहने वाले हिंसक प्राणी आसपास के गांव में कभी कभार आते हैं. इस प्रकल्प में शेरों के रहने के अनुकूल वातावरण यदि बन पाया तो आने वाले समय में यहां शेरों की संख्या और ज्यादा बढ़ी हुआ दिखायी देगी.