Representational Pic
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    पालांदूर. जिले में शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी आनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई है. हालांकि, कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्र अभी भी पाठ्यपुस्तकों के नए सेट का इंतजार कर रहे हैं. छात्र बिना किताबों के पढ़ाई कर रहे हैं. किताबों का नया सेट जुलाई के अंत तक वितरित होने की उम्मीद है. इसलिए अगस्त के महीने में छात्रों के हाथ में किताब मिलने की संभावना है.

    कई छात्रों ने नहीं लौटाई पिछले वर्ष की पुस्तकें

    समग्र शिक्षा अभियान के माध्यम से प्रत्येक वर्ष कक्षा पहली से आठवीं तक के हजारों छात्रों को पुस्तकों का नि:शुल्क वितरण किया जाता है. शिक्षा विभाग ने छात्रों से पुन: उपयोग के लिए पिछले वर्ष दिए गए पुस्तकों को वापस करने की अपील की. कई अभिभावकों ने किताबें लौटा दी हैं. जितनी किताबें छात्रों को दी गई थी. उनमें से सभी किताबें लौटाई नहीं गई. इस कारण सभी छात्रों को पढ़ाई  के लिए पिछले वर्ष की किताबें इस वर्ष नहीं मिल सकी. इस वर्ष पढ़ाई करने वाले छात्रों को  नई पाठ्यपुस्तकों के एक  सेट की जरूरत है. जितने नए  पाठ्यपुस्तकों  के एक सेट की जरूरत है, उतनी मांग स्कूलों द्वारा की गई है. उसके बाद, बालभारती द्वारा मांग के अनुसार पुस्तकों की आपूर्ति की जाएगी. पाठ्यपुस्तकों को जल्द से जल्द उपलब्ध कराने की मांग अभिभावकों द्वारा की जा रही है.

    कायम है मुश्किलें, आनलाइन नहीं पहुंच रही शिक्षा

    पिछले वर्ष तकनीकी दिक्कतों के चलते  सभी छात्रों तक आनलाइन शिक्षा नहीं पहुंच पाई थी, इस वर्ष भी मुश्किलें कम नहीं हुई है. छात्रों की  क्षमता विकास के लिए एनसीईआरटी ने अध्ययन में पीछे छूटे छात्रों के लिए 45 दिन का ब्रिज कोर्स शुरू किया. हालांकि इस पाठ्यक्रम का पीडीएफ प्रिंट ही उपलब्ध है. हर एक छात्र के पास एंड्राइड मोबाइल न होने के कारण ब्रिज कोर्स के पीडीएफ का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. छात्रों के लिए ब्रिज कोर्स का पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध न होने के कारण छात्र पढ़ाई कैसे करेंगे यह भी संभ्रम पैदा करने वाली स्थिति है. साथ ही इसके परिणाम को लेकर शिक्षकों एवं प्राचार्यों द्वारा भी संदेह जताया जा रहा है.

    जल्द उपलब्ध कराए किताबें : हटवार

    छात्र वेदांती हटवार ने कहा कि अभी तक स्कूल से मुफ्त किताबें नहीं मिली हैं. ब्रिज कोर्स की छपाई में 300 रुपये का खर्च आता है. हम छात्रों को आफलाइन पढ़ाई करने के लिए पाठय पुस्तकों की आवश्यकता होती ही है. इसलिए स्कूल से पुस्तकों का एक सेट जल्द से जल्द उपलब्ध  करना चाहिए.