बारव्हा परिसर में धान फसल पर कीड़ों का प्रकोप

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बारव्हा (का). पिछले कुछ दिनों से मौसम में हुए बदलाव के कारण किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें स्पष्ट देखी जा रही है. अतिवृष्टि तथा बाढ़ के कारण धान की फसल पर कीड़े पड़ गए हैं. धान पर लगे कीड़ों को पर रोक लगाने के लिए किसान मंहगे से महंगे कीटनाशकों को प्रयोग करने में नहीं कतरा रहे. कीटनाशकों का कई बार छिड़काव करने के बाद भी किसानों को यह चिंता सता रही है कि कहीं धान की फसल बर्बाद तो नहीं हो जाएगी.

कोरोना जैसी महामारी के बीच किसानों को धान की फसल पर कीड़े लगने की चिंता सता रही है. बारव्हा परिसर में कृषि कार्य से जुड़े लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है. यहां पर रहने वाले किसान 12 माह कृषि कार्य से जुड़े रहते हैं. किसान अपने परिवार का उदर निर्वाह, बच्चों की शिक्षा, बेटे- बेटी का विवाह समेत परिवार में होने वाले मांगलिक कार्यक्रमों में जो भी खर्च होता है, वह सभी कृषि व्यवसाय पर मिलने वाले धनराशि के भरोसे पर ही होता है. वर्षाकाल में किसान सबसे ज्यादा समय खेतों में ही व्यस्त करता है.

अच्छे बीज बोकर ज्यादा से ज्यादा उत्पादन करने की आस रखने वाले किसान अपनी फसल को बचाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. किसानों ने धान के रोप लगाकर उसमें रासायनिक खाद डाला, कुछ दिनों बाद खेतो में हरा-भरा धान उगा हुआ दिखायी दिया. लेकिन मौसम में आए अचानक बदलाव ने पूरा चित्र ही बदल दिया. तहसील में अतिवृष्टि के कारण चुलबंद नदी में तीन बार बाढ़ आने से यहां के किसानों को अपनी फसलों से हाथ धोना पड़ा है. खेत में  पानी घुसने के कारण किसानों को अपनी धान की फसलों से हाथ धोना पड़ा है. धान की फसल पर मौसम बदलने के कारण खोड़कीड़ा, करपा, गाद के अलावा कुछ अन्य कीटकों ने कब्जा जमा लिया है, इससे आज स्थिति यह हो गई कि इस क्षेत्र के धान के उत्पादक यह सोच-सोचकर परेशान हैं कि भविष्य में उन्हें किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.