Sugarcane production

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भंडारा. जिले में पारंपरिक धान की जगह गन्ने की फसल में यहां के किसान ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं. गन्ने की फसल को सबसे ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है. नदी तट या सिंचाई की सुविधा रखने वाले किसान अब धान की जगह गन्ना उत्पादन के प्रति ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं. दीपावली पर्व के बाद अब तुलसी विवाह का शुभांरभ होगा.

जिले से तथा पूर्व विदर्भ से कुछ वर्ष पहले ही ज्वार की फसल इतिहास का विषय बन गयी है.  पूर्व में तुलसी के विवाह समारोह के लिए ज्वार की लतर लगाने की परंपरा थी, लेकिन जब ज्वार की फसल ही बंद हो गई तक तुलसी व्वाह की ज्वार की लतर लगाना भी धीरे-धीरे बंद हो गया.

भंडारा जिले में ही नहीं बल्कि पूर्व विदर्भ में तुलसी विवाह पर्व पर गन्ना की मांग बहुत ज्यादा होती है. गन्ना का भाव तुलसी विवाह में बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, ऐसे में तुलसी विवाह का पर्व गन्ना उत्पादक किसानों के लिए आर्थिक वृद्धि का मुख्य कारण बनता है.

साकोली ने किसानों ने धान की परंपरागत खेती के स्थान पर गन्ने की खेती को ज्यादा महत्व देना शुरु कर दिया है, ऐसे में यह कहा जाने लगा कि आने वाले दिनों में साकोली में धान के बाद गन्ना दूसरी बड़ी फसल के रूप में सामने आएगी.